Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 77
________________ ६५ चिदानंदजी कृत पद. जकी सिदि, केम नई मुख कही नवि जारी॥ चिदानंद एम अकल कलाकी, गति मति कोउ विरले जन पारी॥ जू० ॥४॥ इति पदं॥ ॥पद चौदमुं॥ राग विनास ॥ ॥ देखो नवि जिनजीके जुग, चरन कमल नीके ॥ देखो० ॥ ए आंकणी॥ जिम उदयाचल उदय जयो रवि,तिम नख माननके ॥ देखो॥१॥ नीलोत्पल सम शोन चरण बबि, रिष्ट रतनहूके ॥ देखो० ॥ २ ॥ सुरनि सुमनवर यदकर्दम कर, अर्चित देवनके ॥ देखो० ॥३॥ निरख चरन मन हरख नयो अति, वामा नंदजूके ॥ देखो० ॥ ४ ॥ चिदानंद अब सकल मनोरथ, सफल नये मनके ॥ देखो० ॥ ५॥ ॥ पद पन्नरमुं ॥ राग केरबो॥ ॥ अखीयां सफल नई, अलि निरखत नेमिजिनं द ॥ अ० ॥ ए आंकणी ॥ पद्मासन आसन प्रनु सोहत, मोहत सुरनर रूंद ॥ घूघरबाला अलख अ नोपम, मुख.मानुं पूनम चंद ॥ अ॥ १ ॥ नयन कमलदल शुकमुख नासा, अधर बिंब सुख कंद ॥ कुंदकली ज्यु दति पति, रसना दल शोना अमंद ॥ अ॥२॥ कंबुग्रीव नुज कमल नालकर, रक्तोत्पल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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