Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 27
________________ १४ आनंदघनजी कृत पद. ही ॥ क्यारे॥१॥ जन जन आगल अंतरगतनी, वातडली कहूँ केही ॥ आनंदघन प्रनु वैद्य वियोगें, किम जीवे मधुमेही ॥ क्या ॥२॥ इति पदं ॥... ॥ पद बबीशमुं॥ राग आशावरी ॥ ॥ अवधू क्या मामु गुनहीना, वे गुन गनि न प्रवी ना॥अाए अांकणी॥गाय न जानुं बजाय न जानु, न जानुं सुर नेवा॥रीज न जानुं रीजाय न जानु,न जा नुं पदसेवा ॥ अ॥१॥ वेद न जानुं किताब न जानु, जानुं न लबन बंदा ॥ तरकवादविवाद न जानु, न जानुं कवि फंदा ॥ ॥॥जाप न जानु जुवाबन जानु, न जानुं कविवाता ॥ नाव न जानु नगति न जानु, जानुं न सीरा ताता॥०॥३॥ ग्यान न जानुं विग्यान न जानु, न जानुं जजनामां पागंतर॥ न जानु पदनामा ॥ आनंदघन प्रनुके घरछारे, रटन करूं गुणधामा ॥०॥४॥ इति पदं ॥ ॥ पद सत्तावीशमुं॥ राग आशावरी॥ ॥अवधू राम राम जग गावे, विरता अलख लखावे ॥अ॥एयांकणी॥ मतवाला तो मतमें माता, मठ वाला मराता ॥ जटा जटाधर पटा पटाधर, बता उता धर ताता॥०॥१॥ आगम पढि आगमधर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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