Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 58
________________ आनंदघनजी कृत पद. ४५ ॥ पद बासीमुं राग धमाल ॥ ॥ सखूणे साहेब आवेंगे मेरे, आलीरी वीर विवेक कहो साच ॥ स० ॥ मोसुं साच कहो मेरी सुं, सुख पायो के नाहिं ॥ कहांनी कहा कहुं कहांकी, हिंमोरे चतुरगति मांहि ॥ स० ॥ १ ॥जली नई इत आव ही हो, पंचम गतिकी प्रीत ॥ सिम सिहंत रस पा ककी हो, देखे अपूरव रीत ॥ स॥२॥ वीर कहे एती कढुं हो,आए आए तुम पास ॥ कहे समता परिवारसुं हो, हम है अनुनव दास ॥ स॥३॥ सरधा सुमता चेतना हो, चेतन अनुभव आंहि ॥ सगति फोरवे निज रूपकी हो, लीने आनंदघन मांहि ॥ स॥४॥ ॥ पद सत्त्याशीमुं राग धमाल ॥ ॥ विवेकी वीरा सह्यो न परे, वरजो क्युं न आपके मित्त ॥ वि॥ टेक॥ कहा निगोडी मोहनी हो, मोहत लाल गमार ॥ वाके पर मिथ्या सुता हो, रीज पडे क हा यार ॥ वि० ॥१॥ क्रोध मान बेटा नये हो, देत चपेटा लोक ॥ लोन जमाई माया सुता हो, एह बढ्यो पर मोक ॥ न० ॥ ॥ गई तिथि· कहा बंजणा हो, पू. सुमता नाव ॥ घरको सुत तेरे मतें हो, कहालौं करत बढाव ॥ वि० ॥३॥ तव समत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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