Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
चिदानंदजी कृत पद. १ तिम, आतुर होयने बोलत प्यारी॥चिदानंद निज घ र आवेंगे, दोय दिनांमें उमर सारी ॥प्री० ॥ ५ ॥ ___॥ पद बबीशमुं॥ राग आशावरी तथा गोडी॥
॥ अवधू निरपद विरला को॥ देख्या जग सदु जोई ॥ अवधू ॥ एआंकणी ॥ समरस नाव जला चित्त जाके, थाप नथाप न होई ॥ अविना शीके घरकी बातां, जानेंगे नर सोई॥ अव ॥१॥ राव रंकमें नेद न जाने, कनक उपल सम लेखे ॥ नारी नागणीको नही परिचय, तो शिवमं दिर देखे ॥ अव ॥ २ ॥ निंदा स्तुति श्रवण सुणी ने, हर्ष शोक नवि आणे ॥ ते जगमें जोगीसर पूरा, नित्य चढते गुणगणे ॥अव० ॥३॥ चंद समान सौम्यता जाकी, सायर जेम गंजीरा ॥ अप्रमत्तें नारं म परें नित्य, सुरगिरि सम शुचि धीरा ॥ अव० ॥ ॥४॥ पंकज नाम धराय पंकगुं, रहत कमल जिम न्यारा-॥ चिदानंद इस्या जन उत्तम, सो. साहे बका प्यारा ॥ अव ॥ ५ ॥ इति पदं ॥
॥ पद सत्तावीशमुं॥ राग बिहागवा टोडी ॥
॥ लघुत्ता मेरे मन मानी, लश् गुरुगम ज्ञान नि शानी ॥ लघु ॥ ए आंकणी ॥ मद अष्ट जिनोंने
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114