Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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२१ ग्यारहवाँ सूत्र हा अवता और ग्यारहवाँ सूत्र। २२ स्त्रियों में अनासत, सभ्यज्ञानहर्शन यारित्र आराधन
में तत्पर तथा पाप धारभूत धर्मो से निवृत्त मुनि
वैषयि सुजडी पुगुप्सा रे । २३ जारहवाँ सूत्र। २४ छोधाष्टिछा नाश हरे, लोल छा इस नरसभॐ, प्रशियों डी
हिंसा से निवृत रहे, भोक्ष डी अभिलाषासे धर्मो धाराशों
छोटूर रे। २५ तेरहवाँ सूत्र। २६ छस संसारभे समय ही प्रतीक्षा न उरते हुमे तत्काल ही
जाह्याभ्यन्तर अन्थिो मन र परित्याग हरे; स्त्रोत छो मन र संयभायरा रे, सर्लभ नरहछो पाउर डिसी डी भी हिंसा न उरे । देशसभाप्ति ।
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॥ति द्वितीयोहेशः॥
॥अथ तृतीयोदेशः॥
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१ द्वितीयोटेशढे साथ तृतीयोटेशष्ठा सम्मन्धप्रतिपाटन, और
प्रथभ सूत्र। २ सन्धिष्ठोलन र लोछेक्षायोपशभिड लवलो विषयों प्रभारना उचित नहीं है। अथवा-सन्धि जो मन र लोडछो-षवनिहाय३प लोडो-हज हेना ही नहीं है। उ द्वितीय सूत्रमा अवतरराश और द्वितीय सूत्र। ४ अपने छोसे सुज प्रिय है और हम अप्रिय, उसी प्रहार सभी प्राशीयों को है। इसलिये डिसी भी प्राशी डी न स्वयं घात हरे, न दूसरों से घात रावे, न घात रनेवाले डी
अनुभोना ही छरे। ५ तृतीय सूत्र छा अवतरा और तृतीय सूत्र । ६ मुनित्व ठिसे प्राप्त होता है। ७ यतुर्थ सूत्रछा सवतरा और यतुर्थ सूत्र ।
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શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨
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