Book Title: Yoga kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 365
________________ ( २४८ ) ७-मृषावचनयोग का काल उससे संख्यातगुणा है। ८-उभय वचनयोग का काल उससे संख्यातगुणा है । ९-अनुभय वचनयोग का काल उससे संख्यातगुणा है । १०-वचनयोग का काल उससे विशेषाधिक है । ११-काययोग का काल उससे संख्यातगुणा है । .०२ वचनयोगी तथा असत्यमृषा ( अनुभय ) वचनयोगियों का द्रव्य प्रमाण __वचिजोगि-असच्चमोसवचिजोगीसु मिच्छाइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया, असंखेज्जा। -षट० सू १ । २ । सू १०६ । पु ३ । पृष्ठ० ३८८ टोका-एत्थ मिच्छाइट्ठी इदि एगवयणणिद्दिसो, केवडिया इति बहुवयणणिहिसो; कधमेदाणं भिण्णाहियरणाणमेयट्रपउत्ती ? ण, एयाणेयाणमण्णोण्णाजहत्तीणमेय?त्ताविरोहा । सेसं सुगमं । असंखेज्जा इदि सामण्णेण णवविहस्सासंखेज्जस्स गहणे पसत्ते अणिच्छिदासंखेज्जपडिसेहट्ठमुत्तरसुतं भणदिअसंखेज्जासंखेज्जाहि ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण । -षट्० खण्ड • १ । २ । सू १०७ । पु ३ । पृष्ठ• ३८९ टीका-एदं सुत्तमइसुगम। अणिच्छिदासखेज्जासंखेज्जवियप्पपहिसेहणिमित्तमुत्तरसुत्तावदारो भवदि खेत्तण वचिचोगि-असच्चमोसचिजोगीसु मिच्छाइट्ठीहि पदरमवहिरदि अंगुलस्स संखेज्जदिभागवग्गपडिभागेण । -षट् ० खण्ड ० १ । २ । सू १०८ । पु ३ । पृष्ठ० ३८९ टीका-वचिजोगो असच्चमोसवचिजोगो च वीइ दियप्पहुडीणमुवरिमाण जीवसमासाणं भासापज्जत्तीए पज्जत्तयाण भवदि, तेण वि-ति-चरिदियअसणिपचिदियपज्जत्तरासीओ एगट्ठ करिय वचिजोग-कायजोगद्धासमासेण खडिय एगखडे वचिजोगद्धाए गुणिय पचिदियअसच्चमोसवचिजोगरासि पक्खित्ते अणच्चमोसवचिजोगरासी होदि। एत्थ सच्चादिसेसवचिजोगरासि पक्खित्त वचिजोगरासी होदि। अद्धासमासस्स आवलियाए गुणगारत्तेण टुविदसखेज्जरुवेहितो पदरंगुलस्स हेट्ठा भागहारत्तेण दृविदसखेज्जरुवाणि जेण संखेज्जगुणाणि तेण पदरगुलस्स संखेज्जादिभागो भागहारो भवदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478