Book Title: Yoga kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 416
________________ ( २९९ ) पांच अनुत्तर विमानवासी देवों के पांच विमान होते हैं। इस प्रकार वैमानिक देवों के कुल ८४९७०२३ विमान होते हैं । .५१ तयोगी जीव और अल्पकर्मतर-बहुकर्मतर ___ सयोगी-मनोयोगी, वचनयोगी व काययोगी नारकी अल्पकर्मवाले भी होते हैं तथा बहुकर्मवाले भी होते हैं। यह परस्पर नारकियों की तुलना की अपेक्षा कहा है। इसी प्रकार असुरकुमार यावत् वैमानिक देव तक सभी दंडक जानने चाहिए। जिसके जितने योग हो उतने योग कहना ।-लेश्या कोश नोट-कतिपय प्रत्येक शरीरी बादर वनस्पतिकाय, बादर पृथ्वीकाय, बादर अपकाय के जीव अनन्तर भव में ( मनुष्य हो कर ) मोक्ष प्राप्त कर अन्तक्रिया करते हैं । अतः वे तुलना में अल्प कर्मतरवाले हैं। '५२ सयोगी जीव और अल्पऋद्धि-महाऋद्धि अशुभयोगी जीव से शुभयोगी जीव महाऋद्धिवाला होता है। सबसे अल्पऋद्धिवाला अशुभयोगी जीव तथा सबसे महाऋद्धिवाला शुभयोगी जीव है । दंडक के सभी जीवों के सम्बन्ध में ऐसा ही कहना जिसके जितने योग हो उतने योग कहना । नारकी से वैमानिक देव तक सभी दंडक कहना।—लेश्या कोश केइ भणंति-चउवीसं दंडएण इड्डी भाणियन्वा । -पण्ण० ५० १७ । उ २ । सू २५ कोई आचार्य कहते हैं कि ऋद्धि के आलापक चौबीसों ही दंडकों में कहना चाहिए। .५३ सयोगी क्षुद्रयुग्म जीव । युग्म शब्द से टीकाकार अभयदेव सूरि ने 'राशि' अर्थ लिया है युग्मशब्देन राशयो विवक्षिताः । राशि की समता-विषमता की अपेक्षा युग्म चार प्रकार का होता है, यथा-कृतयुग्म, त्र्योज, द्वापरयुग्म तथा कल्योज युग्म । जिस राशि में चार का भाग देने पर शेष चार बचे उसे राशि को कृतयुग्म कहते हैं। जिस राशि में चार का भाग देने पर तीन बचे उसको योजयुग्म कहते हैं। जिस राशि में चार का भाग देने पर दो बचे उसको द्वापरयुग्म कहते हैं। तथा जिस राशि में चार का भाग देने पर एक बचे उसको कल्योज (युग्म ) कहते हैं । अन्य अपेक्षा से भगवती सूत्र में तीन प्रकार के युग्मों का विवेचन है, यथा-क्षुद्र युग्म, (श ३१, ३२) महायुग्म (श ३५ से ४०) तथा राशियुग्म (श ४१ )। सामान्यतः छोटी संख्यावाली राशि को क्षुद्रयुग्म कहा जा सकता है। इसमें एक से लेकर असंख्यात तक भी संख्या निहित है। महायुग्म वृहद संख्यावाली राशि का द्योतक है तथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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