Book Title: Yoga kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 474
________________ ( ३५७ ) वर्धमान जीवनकोश, प्रथम खण्ड पर प्राप्त समीक्षा वर्धमान जीवन कोश ( प्रथम खण्ड ) : सम्पादक - मोहनलाल बांठिया श्रीचन्द चोरड़िया, प्रकाशक - जैन दर्शन समिति, १६ / सौ डोवर लेन, कलकत्ता - ७००० २९ । पृष्ठ ५१+ ५८४, मूल्य ५०) रुपये 1 प्रस्तुत ग्रन्थ में चौवीसवें तीर्थङ्कर भगवान महावीर के जीवन से सम्बन्धित च्यवन से परिनिर्वाण तक की शास्त्रीय सामग्री संकलित की गई है । इस सामग्री चयन के लिए मूल श्वेताम्बर जैन आगमों, उनकी टीकाओं, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, कसायपाहुड़ और दिगम्बर पुराणों, ग्रन्थों तथा संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश में लिखे महावीर चरित्रों आदि का सहारा लिया गया है । यह ग्रन्थ जैन आगम तथा आगमेतर साहित्य पर शोध कर रहे छात्रों के लिए विशेष उपयोगी होगर । इसमें भगवान महावीर के च्यवन से परिनिर्वाण तक हुआ है। जैन दशमलव प्रणाली से विवेचन अतिगम्भीरता से किया है । - श्रमण, जुलाई १९८१ विवेचन बहुत सुन्दर ढंग से डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ वर्धमान जीवनकोश, द्वितीय खण्ड पर प्राप्त समीक्षा - मुनिश्री राजकरण यह युग विधिवद्ध खोज व शोध का है । अन्वेषक कार्य को सहज और सुगम करने के लिए ही विभिन्न प्रकार के संदर्भ ग्रन्थों की बड़ी उपयोगिता है । इन संदर्भ ग्रन्थों से भी अधिक उपयोगिता है वर्गीकृत कोषों की । वर्गीकृत कोश ग्रन्थ जैसा कि वर्धमान जीवन कोश द्वितीय खण्ड, पूर्व प्रकाशित सभी ग्रन्थों से भिन्न है । इस कार्य के लिए आगम ग्रन्थ उनकी टीकायें, श्वेताम्बर व दिगम्बर आगमेतर ग्रन्थ, कुछ बौद्ध एवं ब्राह्मण्य ग्रन्थ एवं परवर्तीकालीन कोश, अभिधान आदि का भी उपयोग किया है । इस खण्ड में उनके ३३ या २७ भवों का विवरण जो कि श्वेताम्बर व दिगम्बर परम्परा से लिया गया है। इससे तुलनात्मक अध्ययन सुगम हो हो जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें भगवान् महावीर के पाँचों कल्याणक, नाम एवं उपनाम, उनकी स्तुतियाँ, समवसरण, दिव्यध्वनि, संघविवरण, इन्द्रभूति आदि ग्यारह गणधरों का पृथक् विवरण आदि संकलित है । आर्या चन्दना का भी विवरण प्रस्तुत ग्रन्थ में दिया गया है । Jain Education International इस भाग में संकलित अनेक विषय बहुधा प्रथम भाग में संकलित विषयों के परिपूरक है । विषयों को इसमें अंतर्जातीय दशमलव के रूप में विभाजित व संकलित किया गया है जैसा कि सम्पादकों ने उपरोक्त वर्गीकृत कोश ग्रन्थों में किया है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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