Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 01
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: Shantyasha Prakashan

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Page 43
________________ यद्यपि अन्यत्र लक्ष्य शब्द का उद्देश्य, एकाग्रता, ध्यान का ध्येय, केन्द्रबिन्दु इत्यादि अर्थों में भी प्रयोग किया गया है; परंतु उन्हें यहाँ नहीं लेना । अनेकार्थवाची शब्दों का अर्थ प्रकरण के अनुसार ही किया जाना उचित है। . अलक्ष्य – लक्ष्य से भिन्न सभी पदार्थ उस समय अलक्ष्य कहलाते हैं। जिसकी हम पहिचान करना चाह रहे हैं, उसे छोड़कर शेष सभी पदार्थ अलक्ष्य हैं। वास्तव में लक्ष्य और अलक्ष्य किसी वस्तु के नाम नहीं हैं; वरन् लक्षण की अपेक्षा उसके आरोपित नाम हैं; अतः प्रयोजनवश पदार्थ लक्ष्य या अलक्ष्य कहलाते रहते हैं। प्रश्न 3: लक्षण तथा लक्षण के लक्षण को जानना क्यों आवश्यक है ? उत्तरः अनंतवैभव सम्पन्न प्रत्येक वस्तु में कुछ ऐसी शक्तिआँ हैं, जो सभी में साधारण/समान हैं तथा कुछ ऐसी शक्तिआँ हैं, जो अन्य से असाधारण हैं/ सभी में नहीं हैं। इन साधारण और असाधारण शक्ति संपन्न प्रत्येक वस्तु को अनंतानंत वस्तुओं के साथ इस असंख्य प्रदेशी लोक में ही रहने की व्यवस्था होने से एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना होता है। ऐसी स्थिति में लक्षण के बिना किसी वस्तु को जानना-पहिचानना संभव नहीं है। जानकारी के बिना सत्य-असत्य का निर्णय करना संभव नहीं है। वस्तु-स्वरूप का सही निर्णय किए बिना उसका विवेचन संभव नहीं है; यदि किया गया तो जो कुछ भी कहा जाएगा, वह गलत होगा; अतः प्रत्येक वस्तु को गहराई से जानने के पहिले उसका लक्षण जानना अति आवश्यक है। ___ यदि हम लक्षण का लक्षण/पहिचान/परिभाषा नहीं जानते होंगे तो हमने किसी वस्तु को पहिचानने के लिए उसका जो लक्षण बनाया है, वह सही है कि गलत - इसका निर्णय कैसे करेंगे? गलत लक्षण से वस्तु की पहिचान करने के प्रयास में यथार्थ पहिचान नहीं हो पाने के कारण हम अपने प्रयोजन की सिद्धि नहीं कर सकेंगे; अतः लक्षण के माध्यम से वस्तु की पहिचान करने के पूर्व लक्षण का लक्षण जान लेना अति आवश्यक है। इसप्रकार लक्षण के बिना वस्तु की तथा लक्षण के लक्षण बिना लक्षण की यथार्थ जानकारी करना असंभव होने से लक्षण तथा लक्षण के लक्षण को जानना अति आवश्यक है। उत्तर 4: लक्षण के भेद बताइए। उत्तरः लक्ष्य के साथ अपृथक्/तादात्म्य/तन्मय और पृथक्/अतादात्म्य/अतन्मय की अपेक्षा लक्षण के दो भेद हैं - आत्मभूत और अनात्मभूत । लक्षण और लक्षणाभास /38

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