Book Title: Tattvagyan Vivechika Part 01
Author(s): Kalpana Jain
Publisher: Shantyasha Prakashan

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Page 138
________________ . प्रश्न 5: क्या द्रौपदी के पाँच पति थे? यदि नहीं, तो वह पाँच पति के रूप में प्रसिद्ध क्यों हुई ? उत्तरः द्रोपदी एक महासती महिला रत्न थी। उसने मात्र अर्जुन का ही पति के रूप में वरण किया था। वह सदैव युधिष्ठिर और भीम को जेठ होने के कारण पिता के समान तथा नकुल और सहदेव को देवर होने के कारण पुत्र के समान देखती थी। हिन्दू धर्म में भी महासती नारिओं के अन्तर्गत उसका नाम आता है। उसे पाँच पतिवाला कहना सती नारिओं का अवर्णवाद है। एक छोटी सी घटना के कारण विरोधी लोगों ने उसका ऐसा अपवाद किया था। वह इसप्रकार – जब द्रौपदी अर्जुन के गले में वरमाला डाल रही थी, तब अचानक माला का डोरा/धागा टूट जाने से अर्जुन के दोनों ओर बैठे दो-दो भाइयों के ऊपर भी उसके फूल गिर गए। जिन्हें यह संबंध मान्य नहीं था, उन्होंने इस घटना को देखकर उसका अपवाद फैला दिया कि इसने पाँच पतिओं का वरण किया है। हमें सही ज्ञानकर ऐसे अपवादों से बचना चाहिए। प्रश्न 6: पाण्डवों के इस जीवन-चरित्र से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? उत्तरः पाण्डवों का समग्र जीवन शुभ, अशुभ और शुद्ध भावों के फल का चित्रण करनेवाली खुली हुई पुस्तिका है। उससे हमें अनेकानेक शिक्षाएं मिलती हैं। जो इसप्रकार हैं 1. जुआँ खेल में उलझकर या शर्त लगाकर पाँसे खेलने में उलझकर महापराक्रमी पाण्डवों को भी अनेक विपत्तिओं का सामना करना पड़ा; अतः हमें कोई भी कार्य शर्त लगाकर नहीं करना चाहिए। 2. आत्म-साधना के बिना लौकिक जीत-हार का कोई महत्त्व नहीं है। आत्मा की सच्ची जीत तो मोह, राग, द्वेष को जीतने में है। 3. पूर्वभव में याज्ञिक ब्राम्हण होने से यज्ञ के लिए लकड़ी/समिधा के नाम पर जो अन्य पशु-पक्षिओं के बसे हुए घर उध्वस्त किए थे; अनेकों के घर जला डाले थे; उसके परिणामस्वरूप इनका घर भी जलाया गया। इनकी बसी हुई गृहस्थी बारम्बार उध्वस्त हुई। राज्य प्राप्त कर लेने के बाद भी राज्य-सुख नहीं भोग सके। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी किसी के भी बसे हुए घर हमें नहीं उजाड़ना चाहिए। साफ-सफाई के नाम पर मकड़िओं के जाल, चिड़ियों आदि के घोसले नष्ट नहीं करना चाहिए। यदि आप अपनी जगह में दूसरों को नहीं रहने देना तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग एक /133

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