________________
तक के लिए अव्याबाध सुखमय अशरीरी सिद्ध दशा को प्राप्त हो गए। हमें भी उन्हें आदर्श बनाकर उनके समान सतत ही अन्तरोन्मुखी पुरुषार्थ में तत्पर रहना चाहिए।
प्रश्न 3: पाँच पाण्डवों का वंशोत्पत्तिक्रम चार्ट द्वारा स्पष्ट कीजिए। उत्तरः पाँच पाण्डवों का वंशोत्पत्ति-क्रम -
कुरुवंशी प्रसिद्ध राजा पाराशर
धृतराज
रुक्मण
अंबिकारानी अंबालिकारानी अंबारानी
गंगारानी
धृतराष्ट्र
पाण्डु
विदुर
भीष्म पितामह
गांधारीरानी. कुन्ती
माद्री
दुर्योधन आदि विवाहपूर्व विवाहोपरान्त . सौ कौरव कर्ण युधिष्ठिर भीम अर्जुन नकुल सहदेव इसप्रकार पाण्डवों का वंशोत्पत्ति-क्रम है। प्रश्न 4: शत्रुजय पर्वत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः शत्रुजय पर्वत एक सिद्धक्षेत्र है। यहाँ से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन - इन तीन पाण्डवों के साथ ही द्रविड़ राजा आदि आठ करोड़ मुनिराज मुक्त हुए हैं। यह गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्रवाले भाग में भावनगर के पास स्थित है। इसकी तलहटी में पालीताना नगर बसा होने से इसे पालीताना भी कहते हैं। अध्यात्म के लिए वर्तमान में प्रसिद्ध क्षेत्र सोनगढ़ से यह मात्र अठारह किलोमीटर दूर है। वर्तमान में श्वेताम्बर बन्धुओं का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र हो जाने से यहाँ श्वेताम्बर आम्नायवाले सर्वाधिक मन्दिर तथा धर्मशालाएं हैं। दिगम्बर जैन मन्दिर तथा धर्मशालाएं भी हैं। इसकी यात्रा करते हुए पाण्डवों के जीवन से शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।
पाँच पाण्डव /132