Book Title: Sanskrit Sahitya Kosh
Author(s): Rajvansh Sahay
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 6
________________ आमुख विगत पच्चीस वर्षों से हिन्दीभाषी प्रान्तों में विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा का माध्यम हिन्दी स्वीकार की जा चुकी है; फलतः इसमें विभिन्न विषयों के कोशों, सन्दर्भग्रन्थों एवं मानकग्रन्थों का निर्माण बड़ी तेजी के साथ हो रहा है । संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है और इसमें ( भारतीय ) दर्शन, साहित्य एवं ज्ञानविज्ञान की विविध शाखाओं पर प्रभूत ग्रन्थ-राशि भरी पड़ी है, जिसमें प्राचीन भारतीय वैदुष्य की अखण्ड परम्परा सुरक्षित है । अन्य विषयों की भाँति संस्कृत का पठन-पाठन भी हिन्दी माध्यम से हो रहा है और विद्वानों तथा संस्कृतप्रेमी प्रकाशकों ने संस्कृत की विविध शाखाओं पर हिन्दी में प्रामाणिक ग्रन्थ लिखे एवं प्रकाशित किये हैं तथा अनेक मानकग्रन्थों एवं सन्दर्भग्रन्थों का हिन्दी संस्करण प्रस्तुत किया है । भारतीय एवं पाश्चात्त्य विद्वानों द्वारा प्रणीत अनेक विषयों के ग्रन्थ हिन्दी रूपान्तर के रूप में प्रस्तुत किये जा चुके हैं और अनेक संस्थाएँ शेष ग्रन्थों के हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने में प्रयत्नशील हैं । उपर्युक्त सभी प्रयास अभिनन्दनीय और संस्कृत के अध्ययन एवं अनुशीलन में गति प्रदान करने वाले हैं। विगत सौ वर्षों से भारतीय एवं पाश्चात्त्य विद्वानों ने संस्कृत विषयक जो शोधकार्य किया है और हिन्दी - माध्यम से संस्कृत का जो अनुशीलन हुआ है, उसके सार को संकलित कर एक ऐसे सन्दर्भग्रन्थ के निर्माण की आवश्यकता बनी हुई थी जिसमें अकारादिक्रम से सम्पूर्ण विषय का नियोजन एवं मूल्यांकन किया गया हो। अतः ‘संस्कृत साहित्य कोश' के द्वारा इसी अभाव की पूर्ति के लिए लेखक का यह लघु प्रयास पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है । विषय की महत्ता एवं उसकी विस्तृत परिधि को ध्यान में रख कर इस कोश की योजना तीन खण्डों में बनायी गयी है । इसका प्रत्येक खण्ड स्वतन्त्र एवं अपने में पूर्ण है । प्रथम खण्ड में संस्कृत के लेखक, प्रमुख कृतियाँ, संस्कृत साहित्येतिहास के विभिन्न युग एवं धाराओं का समावेश किया गया है । द्वितीय खण्ड में 'संस्कृत साहित्य शास्त्र' के विभिन्न अंगों एवं पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या एवं ऐतिहासिक विकास दिखलाया गया है । तृतीय खण्ड 'भारतीय दर्शन' । सभी विषयों का एक खण्ड में विवेचन संभव नहीं था और इससे को चाकारवृद्धि हो जाती तथा विवेच्य विषय के साथ न्याय न हो पाता । अतः पृथक-पृथक् खण्डों में कोश - लेखन का कार्यक्रम बनाया गया । प्रथम खण्ड के विवेच्य विषयों की सूची इस प्रकार है— वैदिक साहित्य ( चारो वेद, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्,

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