Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith

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Page 8
________________ ( ३ ) ६-सामान्य विभाग के अंतर्गत राजस्थानी के प्रसिद्ध महाकवि श्री सूर्यमल की स्मृति में "सूर्यमल आसन" और राजस्थान के सुप्रसिद्ध इतिहास तथा पुरातत्ववेत्ता ख० डॉ गौरीशङ्कर होराचंद ओझा की पुण्य स्मृति में “ओझा आसन' स्थापित किये गये हैं। इन आसनों से प्रति वर्ष सम्बन्धित विषयों पर अधिकारी विद्वानों के तीन भाषण समायोजित किये जाते हैं और उन्हें पुस्तकाकार प्रकाशिन किया जाता है। सूर्यमल आसन से अब तक डॉ. सुनीतिकुमार चाटुज्यो, नरोत्तमदास स्वामी, अगरचंद नाहटा, तथा रा० ब० राम देवजी चोखानी के भाषण कराये जा चुके हैं, और डॉ० चाटुा के भाषणों की "राजस्थानी भाषा" नामक पुस्तक 'संस्थान' से प्रकाशित हो चुकी है। _ 'अोमा आसन' से प्रसिद्ध इतिहास वेत्ता सीतामऊ के महाराज कुमार डॉ. रघुवीरसिंह जी के तीन भाषण 'पूर्व आधुनिक राजस्थान' विषय पर हो चुके हे और यह पुस्तक प्रकाशित की जा चुकी है। दूसरे अभिभाषक डॉ. दशरथ शर्मा थे; जिनके भाषण शीघ्र ही प्रकाशित होने वाले हैं। श्री ओझाजी द्वारा लिखित निबन्ध भी "ओझा निबन्ध सग्रह" भाग १, २, ३, ४, प्रकाशित कर दिये हैं। माहित्य-संस्थान से शोध सम्बन्धी एक त्रैमासिक "शोध-पत्रिक" श्री डॉ. रघुबोरसिंह जी, श्री अगरचंद नाहटा, श्री कन्हैयालाल महल, एवं श्री गिरिधारीलाल शर्मा के सम्पादन में प्रकाशित होती है। हिन्दी के समस्त शोध-विद्वानों का सहयोग इम पत्रिका को प्राप्त है, इसलिये यह शोध जगत में अपना महत्व पूर्ण स्थान बना चुकी है। इस प्रकार साहित्य-संस्थान अपनी बहुमुखी कार्य योजना द्वारा राजस्थान के बिबरे हुए साहित्य को एकत्रित कर प्रकाश में लाने का नम्र प्रयत्न कर रहा है लेकिन यह काम इतना व्यय और परिश्रम साध्य है कि कोई एक संस्था इसे पूरा करना चाहे तो असम्भव है । हमारे देश की प्राचीन साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं तथा चिन्तन स्रोतों को सदैव गतिशील एवं श्रमर बनाये रखना है तो इस काम को निरन्तर आगे बढ़ाना होगा। देश के धनिमानी सेठ-साहुकारों, राजा-महाराजाओं, जागीर दारों तथा जमीदारों को ऐसे शुभ मरस्वती के यज्ञ में सहायता एवं सहयोग देना ही चाहिये । राजस्थान और भारत

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