Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
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पंतीए
पुढे
पंतीए
असुद्धं
रयम.
A
भइ
१११
,
१२ १५
असुद्धं सुद्धं ०बल उवेभो बल-उवेओ भडुणा
अहुणा पक्खिविऊण, पक्विविऊण अणंतरंदिण्णक० अणंतरं दिण्णक. वसंत्०
वसंतू० रोहाओउ. रोहाओ उ० संपेक्केण
संपक्केण भियाइआ
नियोइया कामणीए
कामिणीए धि द्धी
धिद्धी पदृधरे
पदृधर०पहुणा
पहुणो हत्थेहि
११२ ११२
रयण.
अह "तमिव "अब्भं. उव्वट्ठति विसाल. पुरोधोरत्नम् भरहनरिंदो
११३
११८
पबोहिमो ? उद्भ्रान्तभ्र०
तं वाणं वरदामवई बाणपात्रात् ०पक्खधरो
हत्थेहिं
सम
सम
२८
निच
वट्ट,
१२७ १३० १३१ १३३
२
तमिव अब्भं० उव्वदृति बिसाल. पुरोधारत्नम् भरहमरिं णो पबोहिमओ। उद्भ्रान्तभ्र० तंवाणं वरदाममई वाणयात्रात्
पक्ख रो वट्ट. विपत्तीए उसहकुडम्मि हरण्णो ठाणेसुंसामं बिज्जा. विदम० अंगगंमि पिडसंतिपनकनिहिणो बावत्तरि ओकान्ता
सेणाबइ विवि इंव भयाइ
१३
तुम्हे
तुम्हे निज्चं विमोत्तण विमोत्तूण च स्संति
चइस्संति कया त
कया ते परिचइता परिचइत्ता भगवतस्स भगवंतस्स जसणा
अँउणा •णिज्ज सरीरठ .णिज्जसरीर० कण्णमायर० कृण्णामयर०
दुःश्वाय •दुःश्वाप० सह भकखरं
भक्खर नाणसं
माणस्स उवसमम्सम
उवसमसम्म मिच्छत
मिच्छत्त प्राणापह णम् प्राणापहरणम् जलहराव्व
जलहरव्व गण
गण
१३४ १३६ १३९
विवत्तीए उसहकूडम्मि
रणो ठाणेसुं सामं विज्जा. विद्दमा
अंगणंमि पिउसंतियनवनिहिणो बावत्तरिभाकान्ता सेणावई विव
१५
सह
१०२
१४२
२६
११८ १५०
१०३ १०४ १०५ १०६ १०८
१५१
अयाई
१५३ १५५
१३
चठ.
१५६ १५७
पक्खिज्जमाण पक्सिज्जमाणइच्छतो
इच्छंतो सज्जीवति सज्जीभवंति
१७ १
सस्साणं
'सम्साणं
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