Book Title: Padhamvaggo
Author(s): Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
Publisher: Nemivigyan Kastursuri Gyanmandir
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१५
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छट्टो उद्देसो
मरीइणो वेसपरिवहणं, मरीइसरीरे पीडा, तर्हि च रायपुत्तस्स कविलस्स आगमणं दिक्खा य, सहसामिणो अट्ठावयगिरिम्मि समागमणं, अट्ठावयगिरिवण्णणं, समवसरणं च । वासवविहिय - सिरिउ सहजिणथुई, धम्मदेसणा, पंचविह - अवग्गहसरूवं, भरहेण सावगाणं भोयणदाणं । १८५-१९७ । सिरिउसह जिणीस रदेवक हियभावि - तित्थयर - चक्कवट्टि - वासुदेव - बलदेव - पडिवासुदेवाणं सरूवं । १९७-२०३ ।
भरण पुछ्रेण भगवया मरीइणो भाविसरूवकहणं, कुलमयकरणाओ मरीइणा नीयगोत्तकम्मुवज्जणं, उस पडुगो सत्तुंजयतिकत्थम्मि आगमणं, केवलणाणलाहं दंसिऊण पुंडरीगगणहरं तत्थ ठविऊगं भगवओ अन्नहिं विहारो, दव्वभावसंलेहणासरूवं, पुंडरीगगणहराईणं तत्थ निव्वाणं । २०३-२०६ ।
भरण सत्तुंजयगिरिम्मि पुंडरीगपडिमा सहिय - उसह जिणी सरचेइय निम्मवणं, उसहजिणीसरस्स समणाइपरिवार संखा । २०६ -२०७ ।
भगवओ अट्ठावयगिरिम्मि आगमणं अणसणं च, पहुस्स अणसणं सोच्चा भरहस्स खेओ, तत्थ य आगमणं । आसणकंपाओ तहिं आगयाणं विसन्नहिययाणं इंदाणं अवत्थाणं । २०७ - २०८ । तइयारगस्स एगूणण उपक्खेसुं अवसिट्ठेसुं समाणेसुं माहमासस्स किण्हतेरसीए - सिरिउस पहुणो निव्वाणं, अण्णेसि पि दससहस्ससमणाणं भगवया सद्धिं परमपयासायणं, जिणवरस्स इंदाइकयनिव्वाणगमणमहूसवो । २०८ - २१२ ।
अट्ठावयगिरिम्मि
भरहकारियसिंह निसज्जापासाओ, नवणउइभाऊणं च थूवनिम्मवणं, भरहेण लोहनिम्मिय--जंत मइयाऽऽरक्खगपुरिसेहिं चेइयर क्वाविहाणं, जिणपडिमाणं वित्थरेण अच्चणाइविहाणं । २१२-२१५ ।
सोग-भत्तिभरिय-भरहनरिंदविहिय चउव्वीस जिणवराणं धुई, विणीयानयरीए आगमण, भरहस् भोगा । २१५ - २२० ।
भरहनरिंदस्स आयंसगेहम्मि केवलणाणुप्पत्ती, देवेहिं तस्स मुणिवेससमप्पणं, दससहस्सनरवईणं पव्वज्जागणं । २२०-२२१ ।
आइच सरस रज्जाभिसेगो, देसणाए भव्वजीवे पडिबोहमाणस्स भरहस्स पुव्वलक्खवरिसं जाव विहारो, अट्ठावयगिरिम्मि य निव्वाणं, सव्वाउसपमाणं । २२२-२२३ । छो उस समतो | सिरिउ सहसामिजिणवइ - भरइचक्कवहिपडिबद्धो पढमो वग्गो समत्तो ॥
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