Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 39
________________ तृतीयो वर्गः] भापाटीकासहितम् । ल्यूरभाष8589 प्रज्ञप्तः ? एवं खलु जम्बु ! श्रमणेन यावत्संप्राप्तेनानुत्तरोपपातिकदशानां तृतीयस्य वर्गस्य दशाध्ययनानि प्रज्ञतानि, तद्यथा : धन्यश्च सुनक्षत्रः, ऋषिदासश्चाख्यातः । पेल्लको रामपुत्रश्च, चन्द्रिकः पृष्टिमातृकः॥१॥ पेढालपुत्रोऽनगारः, नवमः पृष्टिमायी च। वेहल्लो दशम उक्तः, इमे ते दशाख्याताः ॥२॥ पदार्थान्वयः-भंते-हे भगवन् । णं-पूर्ववत् वाक्यालङ्कार के लिए है जति-यदि जाव-यावत् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान् महावीर ने अणुत्तरोववाइयदसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के दोच्चस्स-द्वितीय वग्गस्स-वर्ग का अयमद्वे-यह अर्थ पएणत्ते-प्रतिपादन किया है तो भंते-हे भगवन् ' अणुत्तरोववाइयदसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के तच्चस्स-तृतीय वग्गस्सवर्ग का सम० जाव सं०-मोक्ष को प्राप्त हुए श्रमण भगवान् महावीर ने के-क्या अद्वे अर्थ प०-प्रतिपादन किया है ? इस प्रश्न को सुनकर सुधर्मा स्वामी कहते हैं कि जम्बू-हे जम्बू ' एवं खलु-इस प्रकार निश्चय से समणेणं-श्रमण भगवान महावीर ने अणुत्तरोववाइयदसाणं-अनुत्तरोपपातिकदशा के तच्चस्स-तृतीय वग्गस्स-वर्ग के दम-दश अज्झयणा-अध्ययन पन्नत्ता-प्रतिपादन किये हैं, तं जहा-जैसे-धण्णे धन्य कुमार और सुणक्खत्ते-सुनक्षत्र कुमार अ-और इसीदासे-ऋपिदास कुमार आहिते कथन किया गया है पेल्लए-पेल्लक कुमार य-और रामपुत्ते-राम पुत्र कुमार, चंदिमा-चन्द्रिका कुमार, पिट्टिमाइया-पृष्टिमातृका कुमार पेढालपुत्तेपेढालपुत्र अणगारे-अनगार य-और नवमे-नौवां पुहिले-पृष्टिमायी कुमार दसमे-दशवां वेहल्ले-वेहल्ल कुमार वुत्ते-कहा गया है, इमे-ये ते-वे दस-दश अध्ययन आहिते-कहे गये है। भूलार्थ- हे भगवन् ! यदि श्रमण भगवान महावीर ने अनुत्तरोपपातिकदशा के द्वितीय वर्ग का उक्त अर्थ प्रतिपादन किया है, तो हे भगवन् ! मोक्ष को प्राप्त हुए श्रमण भगवान् महावीर ने अनुत्तरोपपातिक-दशा के तृतीय वर्ग का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? इसके उत्तर में सुधर्मा स्वामी कहते हैं कि हे जम्बू !

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