Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 110
________________ शब्दार्थ-कोष - ~ ३६, ८६ तवसा तप से ४६, ४६, ८६ । तेत्तीसं तेतीस तवेणं-तप से ६७ तेरस-तेरह तवो-कम्म-तप-कर्म १६ तेरसण्हवि-तेरहों की तवो कम्मेणं-तप-कर्म से ४२, ४३ | तेरसमे-तेरहवाँ तस्स-उसका ३६,८०, ६० तेरसवि-तेरह ही तहा-उसी तरह १२, २७, ३६, ६७, ८६ तेसिं-उनके तहा-रूवाण-तथा-रूप, शास्त्रों में वर्णन तो तो किये हुए गुणों से युक्त साधुओं का ४६ | त्ति इति तहेव-उसी प्रकार १२, १३, २०, ४५, ७२, थावच्चापुत्तस्स-स्थावत्या-पुत्र की, स्था ८०,८६, १० वत्या गाथापत्नी का पुत्र, जिसने एक ताए-उस ___ सहस्र मनुष्यों के साथ दीक्षा ली थी ताओ-उस तामेव-उसी ७३ थावञ्चापुत्तो-स्थावत्या-पुत्र ३६ तारएणदूसरों को ससार-सागर से पार थासयावली-दर्पणों (आरसियों) की ___करने वाले पक्ति तालियंट पत्ते-ताड के पत्तों का पडा ५६ | थेरा स्थविर भगवान् १३,८० ति इति, समाप्ति या परिचय बोधकथेराणं-स्थविर भगवन्तों का अव्यय ८, १३, ५१, ५३ । थेरेहि स्थविरों के (से) १२,८० तिकट्टु-इस प्रकार करके दस-दश ८, ११, ३२२, ३४ तिक्खुत्तो-तीन बार दसमे-दशवाँ, दशम तिरिण-तीन ८ दसमो-दशम, दशवाँ ६१ तिह-तीन का २० | दाओ=विवाह में कन्या-पक्ष से आने वाला तित्थगरेणं चार तीर्थों की स्थापना दहेज १२, ३८, ८६ करने वाले ६१ | दारए बालक ३५, ८६ तिनेण ससार सागर से पार हुए दारयं-बालक को नीसे उस ३५, ८६ दिन्ना-दी हुई ५१, ५६ तुम्मेण-आप से ४२ दिवसं-दिन तुम-तुम ७३ दिसं-दिशा को ते-वे १३, ३२ दीहदते-दीर्घदन्त कुमार तेएणं तेज से ६७ दीहसेणे-दीर्घसेन कुमार तेणं-उम ३'. १२२, २७२, ३४', दुतिजमाणे-विहार करते हुए ४६,७१,७२, ६० दुमसेणे-द्रुमसेन कुमार नेण्टेण-इस कारण ७२ दुमेन्टुम कुमार नेणे-उमी और ४५, ७२, ७३' दुरूहति-आरोहण करते हैं, चढ़ते हैं ८० ६५ ४२२,८६२

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