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अनुत्तरोपपातिकदशासूत्रम्
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पिता-पिता
२७ | वीणा-छिड्डे-वीणा का छेद पिया-पिता
६१ | बुद्धेणं चुद्व, ज्ञानवान् पुच्छति-पूछता है
८० बोद्धन्वे-जानना चाहिए पुट्टिले पृष्टिमायी कुमार
३२ बोरी-करील्ल बेर की कोंपल पुत्ते-पुत्र
३५, ८६ | वोहएणं-दूसरों को वोध कराने वाले ६५ पुनसेणे-पुण्यसेन कुमार २४ | भंते हे भगवन् ! ३,६, ११२, १३, पुरिससेणे-पुरुषसेन कुमार
| २४, २६, २७, ३२, ३४', ४२, ७२, पुबरत्तावरत्तकाल-समयंसि-मध्य रात्रि | ८०,८६,६० के समय में
६० भगवं-भगवान् १३, ३६, ४२, ४६, ७१, पुव्यरत्तावरत्तकाले-मध्य रात्रि में
७२, ७३', ८० पुवाणुपुब्बीए-क्रम से
भगवंता-भगवान्
१३ पेढालपुत्ते-पेढालपुत्र कुमार
| भगवता भगवान् ने
४२, ६४ पेल्लए-पेल्लक कुमार
भगवतो भगवान् का ४६,७३, ८६ पोरिसीए-पौरुपी, प्रहर, दिन या रात
भगवया भगवान् ने के चौथे भाग में
| भजणयकभल्ले-चने आदि भूनने की फुट्टतेहिं बडे जोर से बजते हुए (मृदङ्ग कढाई
आदि वाद्यो के नाद से युक्त) ३८ | भत्तंभात बंभयारीब्रह्मचारी
| भद्द-भद्रा सार्थवाहिनी को बत्ती(त्ति)सम्बत्तीस १३, भद्दा-भद्रा नाम वाली ३५, बत्तीसाप-बत्तीस
भद्दाप-भद्रा मार्थवाहिनी का बत्तीसाओ-बत्तीस
भहाओ-भद्रा नाम वाली बद्धीसग छिट्टेबहीमक नामक
भन्नति कहा जाता है का छेद
६४ । भवणं भवन बहवे बहुत से । भवित्ता होकर
४२ वहिया बाहर
। भाणियब्वं, व्या कहना चाहिए २०, ६१ बह-बहुत
६० भावेमाणे-भावना करते हुए ४२,४३, वारसम्बारह
२० । बालत्तणंचालकपन
२७, भासंम्भापा, बोल यावत्तरि बहत्तर
३५ मास-गसि-पलिन्छन्न-गस के ढेर में बाहाण-मुजाना की
५ टकी हुई चाहाया संगलियानाहाय नाम वाले वृक्ष भासिम्मामि-महँगा विगेप की फनी
VE ' भुस्पग-मृन्य में याहार्दि-भुजाओं में ___६ . भोग-समन्ध.न्ध भोग भोगने में समर्थ । बिलमिव बिल के समान १६, ७,८६,
५. ७
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