Book Title: Vidyopasna
Author(s): Himmatram Mahashankar Yagnik
Publisher: Yogesh Yagnik

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Page 24
________________ १४ ऐं ही श्री हस् हसौः, अहमद अहमहं हुसौः हस्ो श्री ही ऐं, (इति शुद्धज्ञानदा शाम्भवीविद्या ब्रह्मरन्ध्रे) ॥१९॥ सौः (इय परा विद्या ) द्वादशान्ते ॥२०॥ 'ऐं क्लीं सौः, सौः क्लीं ऐं, ऐं क्लीं सौः ।' (इति नवाक्षरी श्रीदेव्यङ्गभूता बाला) ॥२१॥ 'श्रीं ह्रीं क्लीं ॐ नमो भगवति अन्नपूणे" ममाभिलषितमन्न देहि स्वाहा ।' (इति श्रीदेव्या उपाभूता अन्नपूर्णा) ॥२२॥ 'ॐ आं ही क्रों एहि परमेश्वरि स्वाहा' (इय श्रीदेवींप्रत्यङ्गभूता अश्वारूढा) ॥२३॥ “ऐं ही श्री हस्खकरें हसक्षमलवरयू सहक्षमलवरयी इसौः स्होः अमुकानन्दनाथश्रीगुरुपादुकां पूजयामि नमः (इति श्रीविद्यागुरुपादुका) ॥२४॥ 'कएईलही हसकहलही सकलही ' (इति मूलविद्या कादिनाम्नी) वाला अन्नपूर्णा अश्वारूढा श्रीपादुका चेत्येताभिश्चतसभिर्युक्ता मूलविद्या साम्राज्ञी मूलाधारे ध्येयाः) ॥२५॥ 'ऐं नमः उच्छिष्टचण्डालि मातङ्गि सर्ववशङ्करि स्वाहा' (इति श्यामाङ्गभूता लघुश्यामला) ॥२६॥ 'ऐं वली सौ: वद वद वाग्वादिनि स्वाहा (इय' श्यामागभूता वाग्वादिनी) ॥२७॥ ॐ ओष्ठपिधाना नकुली दन्तैः परिवृत्ता पविः सर्वस्य वाच ईशाना चारुमामिह वादयेत । ' (इयं श्यामाप्रत्यङ्गभूता नकुलीविद्या) ॥२८॥ "ऐं क्लीं सौः हरफ्रें हसक्षमलवस्यूं सहक्षमलवरया हसौः स्हो: अमुकानन्दनाथ श्रीगुरुपादकां पूजयामि नमः ।' ( इति श्यामा गुरुपादुका) ॥२९॥

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