Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 44
________________ 70 71 72 73 74. 75 76 77. वढ बुज्तह रगउ भति । सिद्धतपुरार्णाहं वेय श्रारणंदेरण व जाम गउता वढ सिद्ध कहति ॥ भिण्णउ जेहि ण जाणियउ रिणयदेहहं परमत्यु | सो अधउ अवरह अधयह किम दरिसाव पंथु ॥ जोइय भिण्णउ काय तुहु देहह ते अप्पाणु | जइ देह वि अप्पर मुखहि ण वि पावहि णिव्वाणु ॥ रायवयल्लाह छहरसह पंचहि रूर्वाह चित्तु । जासु ण रंजिउ भुवणर्यालि सो जोइय करि मित्तु ॥ तोडिवि सयल वियप्पडा अप्पह मणु वि धरेहि । सोक्खु णिरतरु तह लहहि लहू ससारु तरेहि || पुरण होइ विस्रो विहवेरण मत्रो मएरण मइमोहो । मइमोहेर य णरय तं पुण्रण अम्ह मा होउ || 20 1 मित्रो सिताम जिरणवर जाम ण मुणिश्रो सि देहमज्झमि । जइ सुणिउ देहमज्झम्मि ता केण णवज्जए कस्स ॥ ता संकष्पवियप्पा कम्म प्रकुणंतु सुहासुहाजणय । अप्पसरुवासिद्धी जाम ण हियए परिफुरइ ॥ [ पाहुडदोहा चयनिका

Loading...

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105