Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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वढ बुज्तह रगउ भति । सिद्धतपुरार्णाहं वेय श्रारणंदेरण व जाम गउता वढ सिद्ध कहति ॥
भिण्णउ जेहि ण जाणियउ रिणयदेहहं परमत्यु | सो अधउ अवरह अधयह किम दरिसाव पंथु ॥
जोइय भिण्णउ काय तुहु देहह ते अप्पाणु | जइ देह वि अप्पर मुखहि ण वि पावहि णिव्वाणु ॥ रायवयल्लाह छहरसह पंचहि रूर्वाह चित्तु । जासु ण रंजिउ भुवणर्यालि सो जोइय करि मित्तु ॥
तोडिवि सयल वियप्पडा अप्पह मणु वि धरेहि । सोक्खु णिरतरु तह लहहि लहू ससारु तरेहि ||
पुरण होइ विस्रो विहवेरण मत्रो मएरण मइमोहो । मइमोहेर य णरय तं पुण्रण अम्ह मा होउ ||
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मित्रो सिताम जिरणवर जाम ण मुणिश्रो सि देहमज्झमि । जइ सुणिउ देहमज्झम्मि ता केण णवज्जए कस्स ॥
ता संकष्पवियप्पा कम्म प्रकुणंतु सुहासुहाजणय । अप्पसरुवासिद्धी जाम ण हियए परिफुरइ ॥
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