Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 68
________________ मुच्चहि जम मलेग 36 खन्तु पियतु वि रिसह कि घरि (घर) विधि 2/1 सक -धारण कर (मुच्चहि) विधि 2/1 सक अनि =छुटकारा पा जाए अव्यय -जिससे कि (ताकि) (मल) 3/1 =मल से (खा→खन्त) वकृ 1/1 =खाते हुए (पिय) व 1/1 =पीते हुए अव्यय जीव (जीव)8/1 =हे जीव जइ अव्यय -यदि पावहि (पाव) विधि 2/1 सक =पाले सासयमोक्खु [(सासय)-(मोक्ख)2/1] =नित्य शान्ति (रिसह) 1/1 =ऋषभ ने भडारउ (भडारअ) 1/1 वि -पूज्य अव्यय = क्यों चव (चव) व 3/1 सक सयलु (सयल) 2/1 वि =सव अव्यय इदियसोक्खु [(इदिय)-(मोक्ख) 2/1] =इन्द्रिय-सुख 37. अप्पा (अप्प) 21 -प्रात्मा को मिल्लिवि (मिल्ल+इवि) सक -छोडकर गुणरिणलउ [(गुण)-(मिलन)2/1 वि] =गुणो के आश्रय अण्ण (अण्ण) 2/1 वि -दूसरे अव्यय मायहि (झा→भाय) व 2/1 मक -चिन्तन करता है भाणु (झारण) 2/1 =विचार का (को) बढ (वह) 8/1 =हे मूर्ख (अण्णाण- [(अण्णारण)-(विमीसिय) = अज्ञान से जुड़े हुए (विमोमियह भूट 412 अनि (व्यक्तियो) के लिए =छोडे वि जि । पाहर दोहा, गपादा-टो हीरालाल जैन, शब्द कोश, पाठ-79 । 44] [ पाहुइदोहा चयनिका

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