Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 54
________________ त वह -सुख -माना गया सुक्ख किउ पि य जिय अव्यय (त) 1/1 मवि (सुक्त)1/1 (किन) भूक 1/1 अनि अव्यय अव्यय (तुम्ह) 3/1 म (जिय) 8/1 (मोह) 3/2 (वस) 7/1 (गय) भूक 1/2 अनि अव्यय अव्यय (पाय)भूकृ ।। अनि 'अ' स्वा (मुक्त) ! मोहहिं वसि और तेरे द्वारा =हे जीव -प्रासक्ति के कारण =परतन्त्रता मे -डूबा है - इसलिए =नहीं =प्राप्त की गई -परम शान्ति गया। तेण ण = = Ex x x x FREE FEE FEEEEEE . " पायउ मुक्त मोक्खु =शान्ति नहीं =पाता है (पायेगा) हे जीव पावहि जोन धरा परिपण (मोक्ख)211 अव्यय (पाव) व 211 मक (जीव)8/1 (तुम्ह) 1/। म (घ )2.1 (परियण) 2/1 (चित-चिंतन) वकृ 1/1 अव्यय अव्यय (विचित) व 2/1 मक (त) 2/2 म अव्यय =धन को नौकर-चाकर को -मन मे रखते हुए =तो चितु विचितह =मन में लाता है -उनको -आश्चर्य । सम्मान के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। 30 ] [ पाहुडदोहा चयनिका

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