Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 70
________________ (त) 4/1 स अव्यय (कच्च) 6/1 (गण्ण) 11 -उसके लिए -क्या कांच की -गिनती कच्चहु। गण्णु जि -पर का -पादपूरक =हे जीव म -मनन कर तुह 40 अण्ण (अण्ण) 2/1 वि अव्यय जीउ (जीय) 8/1 अव्यय चिति (चित) विधि 2/1 सक (तुम्ह) 1/1 स अव्यय वोहउट (वीह-वीहिन) भूक 1/1 दुक्खस्स: (दुक्ख) 611 तिलतुसमित्त (तिलतुसमित्त) 1/1 वि अव्यय सल्लडा (सल्ल+अड) 1/1 'अड' स्वा (वैयणा)21 कर (कर) व 3/1 सक अवस्स अव्यय वि -यदि =डरा हुआ =दुख से -तिल-तुस जितना -भी =कांटा वेदना उत्पन्न करता है अवश्य 41 अप्पाए वि विभावियई गासह पाउ खरणे (अप्प--(स्त्री) अप्पा) 3/1 व्यक्ति के द्वारा अव्यय पादपूरक (विभाव-विभाविय) भूकृ 1/2 =समझे हुए हैं (पास) व 3/1 सक -नष्ट कर देता है (पाय)2/1 -पाप को ऋिविध =क्षण भर मे 1 श्रीवास्तव, अपभ्रश भापा का अध्ययन, पृष्ठ, 150 । 2 पाठ होना चाहिए 'वीहिउ' । 3 कमी-कमी पंचमी के स्थान पर पष्ठी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या 3-134)। 46 ] [ पाहुडदोहा चयनिका

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