Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 94
________________ पाव परलोउ (पाव) व 3/1 सक (परलोअ) 2/1 प्राप्त करता है (करेगा) श्रेष्ठ जीवन 84 जिम लोण विलिज्जा पारिणयह तिम जह चित्त विलिज्ज समरसि हूवइ नीवडा अव्यय (लोण) 1/1 (विलिज्ज) व 3/1 अक (पारिणय) 6/1 अव्यय अव्यय (चित्त) 1/1 (विलिज्ज) व 3/1 अक (सम)-(रस) 7/1] (हव) व 3/1 अक (जीव+अड) 111 'अड' स्वा (काइ) 2/1 सवि (समाहि) 1/1 (कर-करिज्ज) व 3/1 सक -जिस प्रकार नमक -विलीन हो जाता है =पानी मे =उसी प्रकार = यदि चित्त = लीन हो जाता है समतारूपी रस मे -डूब जाता है जीव -क्या -समाधि करती है काइ समाहि करिज्ज 85 तित्थड तित्य भमतयह (तित्थ) 2/2 (तित्थ) 2/2 (भम→ममत) वकृ 6/2 'य' स्वा तीर्थों मे -तीर्थों में भ्रमण करते हुए (व्यक्तियों) को =दुखी की जाती है सताविज्जड दर अप्प (सताव) व कर्म 3/1 सक (देह) 11 (अप्प) 31 (अप्प) 1/2 (झाप) भूक 1/2 अप्पा झाइयइ मात्मा के द्वारा प्रात्मा -ध्याया गया है 1 कनी-कमी मप्तमी के स्थान पर पष्ठी का प्रयोग पाया जाता है (हे प्रा व्या. 3-134) 2 ग्रादरमूच क शन्द । 70 } [ पाहुडदोहा चयनिका

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