Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 72
________________ 44 सो परमप्पउ होइ 1 पाउ वि ह परिवह कम्मइ ताम करेइ जाम ཀླ ཕ ण अव्यय = उत्पन्न करता है (कर) व 3/1 सक परमणिरजणु [ ( परम ) वि - ( रिजरण ) 2 / 1 वि] = उच्चतम और लेप से रहित को वि रिगम्मलु होइ मुरणेह 45 लोहाह मोहिउ ताम तुहं विसयहं सुक्ख मुरोहि गुरुहु' पसाए (त) 1 / 1 सवि (परमप्पा ) 1/1 (हो) व 3 / 1 अक (पात्र) 1 / 1 श्रव्यय (अप्प) 7/1 (परिणव) व 3 / 1 अक (कम्म) 2/2 48 1 अव्यय अव्यय श्रव्यय (रिगम्मल) 1 / 1 वि (हो+ड) सकृ (मुण) व 3 / 1 सक (लोह) 3/2 (मोह मोहित्र) भूक 1/1 श्रव्यय (तुम्ह) 1/1 म ( विसय) 6 / 2 ( सुक्ख) 2 / 1 (मुरण) व 2 / 1 मक (गुरु) 6/2 (पमा) 3 / 1 श्रादरसूचक होने से बहुवचन हुआ है । == वह =परम श्रात्मा = हो जाता है = दोष =श्रौर = श्रात्मा मे = उत्पन्न होता है। = कर्मों को = तभी तक == जब तक =नहीं = पादपूरक = निर्मल = होकर = जानता है = लोभ के कारण = मूच्छित हुभा तभी तक = = == विषयो के सुख को = मानता है - गुरु की कृपा से = [ पाहुडदोहा चयनिका

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