Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 58
________________ फरंतु Latestk..I मुरिण askrit. ... - कम्मह (कम्म) 6/2 -कर्मों के (हेउ) 2/2 -कारणो को (कर-करत) व 1/1 करता हुमा (त) 1/I सवि (मुरिण) 1/1 -मुनि पाव (पाव) व 3/1 मक =पाता है सुख (मुक्ख)2/1 -सुख अव्यय -नहीं अव्यय =भी सयलइ (सयल) 2/2 वि सत्य (सत्य)2/2 -शास्त्री को मुणतु (मुण-मुणत) व 1/1 जानते हुए 16 वोहिविवज्जित [(वोहि)-(विवज्ज-विज्जिन)-प्राध्यात्मिक ज्ञान के विना भूक 8/1] तुह (तुम्ह) 1/1 स जीव (जीव) 8/1 -हे जीव विवरित (विवरिअ) 2/1 वि -असत्य तच्च (तच्च) 2/1 तत्व को मुरणेहि (मुण) व 2/1 सक =मानता है फम्मविरिणम्मिय [(कम्म)-(विरिणम्म→ -कर्मों से रचित विरिणम्मिन) भूकृ 2/2] भावडा (भाव+अड) 2/2 'अड' स्वा -चित्तवृत्तियो को (त) 2/2 सवि अप्पाग (अप्पाण) 6/1 -स्वय को भरणेहि (मरण) व 2/1 सक =समझता है 17 ण अव्यय प्रव्यय (तुम्ह) 1/1स (पडिग्र) 1/1 वि -पडित 34 ] [ पाहुडदोहा चयनिका

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