Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 86
________________ तव 1 वढ मोक् कहत 69 छहदसरथ बहुल श्रवरुप्परु गज्जति ज कारण 1 2 त इक्क पर विवरेरा जागति वेय वढ वुज्झतह णउ भति प्राणदेण व जान गउ (तव ) 6 / 1स अनि (वढ ) 8 / 1 वि (मोक्ख) 1/1 (कह) व 3/2 सक 70 सिद्धंतपुरार्णाह 2 [ (सिद्धत) - (पुराण) 7/2] (वेय) 1/2 (वढ) 8 / 1 वि (बुज्फ वुज्झत) वकृ 4/2 अव्यय (भति) 1 / 1 (STITUTE) 3/1 श्रव्यय 62 ] (गज्ज) व 3 / 2 अक (ज) 1 / 1 सवि [ (छह ) वि - ( दसरण) - (गथ ) 3 / 1] = छहो दर्शनों की गाठ के कारण (वहुल) 1/2 वि क्रिविन (कारण) 1/1 (त) 1 / 1 सवि ( इक्क) 1 / 1 वि अव्यय (विवरेर) 1 / 1 वि (जारण) व 3 / 2 सक = तेरे लिए = हे मूर्ख = मोक्ष = कहते हैं श्रव्यय (ग) भूरु 1 / 1 ग्रनि = - बहुत = एक दूसरे के विरुद्ध = गरजते हैं। = जो कारण = वह = एक = किन्तु = विपरीत = = समझते हैं। = सिद्धान्त और पुर गो को =वेद = हे मूर्ख = समझने हुए (व्यक्तियो ) के लिए = नहीं === सन्देह = श्रानन्द से = श्रौर = जव =मरा पी का प्रयोग चतुर्थी श्रर्थ मे होना है । कभी-कभी द्वितीया के स्थान पर मनमी का प्रयोग पाया जाता है । हे प्रा व्या 3-135) 1 [ पाहुडदोहा चयनिका

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