Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 76
________________ कोहु करि कोहें रणासह धम्म धम्मिा (कोह) 2/1 -क्रोध (कर) विधि 2/1 सक (कोह) 3/1 -क्रोध के कारण (णास) व 3/1 अक नष्ट हो जाती है (धम्म) 1/1 -शान्ति (धम्म-धम्मे→धम्मि) 3/1 =धर्म (णटुणटेंट्ठि ) भूक 3/I =नष्ट होने पर अनि (णरय)-(गइ) 1/1] =नरकगति अव्यय =और (गम) भूकृ 1/1 अनि व्यर्थ हुमा [(माणुस)-(जम्म) 1/1] मनुष्य जन्म णरयगइ प्रह गउ माणुसजम्मु हत्य प्रहट्ट देवली वालहं रा (हत्य) 6/1 (अहुटु) 1/1 वि दिवल(स्त्री)-→देवली 1/1] (वाल) 6/11 अव्यय अव्यय (पवेस) 11 (सत) 1/1 वि (रिगरजरण) 1/1 वि (त) 7/1 म (वस) व 3/1 प्रक (गिम्मल) 1/1 वि (हो+) सक (गवेस) विधि 2/1 सक -हाय के -निकट स्थित -देवालय =अज्ञानी का नहीं =किन्तु -प्रवेश शान्त पवेसु सतु বিণ तहि वसई रिगम्मलु होइ गवेसु -उसमे रहती है -निर्मल -होकर खोज 1 हम्वीकरण की प्रवृत्ति के कारण धम्मे-धम्मि, रण→→णादि हया है। 52 ] ( पाहृडदोहा चयनिका

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