Book Title: Pahuda Doha Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 97
________________ परमत्थु अप्पा मिल्लवि खारणमउ अवरु विडाविड सत्य 90 विसया चिति म जीव तुह विसय रण भल्ला होति सेवताह वि महुर वढ पच्छाइ दुक्खइ दिति 91 भवि दसण मलर हिउ करउ समाहि (परमत्थ) 2/1 (अप्प ) 2/1 (मिल्ल + इवि) सकृ (गाणम) 2 / 1 वि (अवर) 1 / 1 वि ( विडाविड) 1 / 1 वि (सत्य) 1/1 (विसय) 2/2 (चित) विधि 2 / 1 सक अव्यय (ita) 8/1 (तुम्ह) 1/1 स (विसय) 1/2 अव्यय (मल्ल) 1 / 1 वि (हो) व 3 / 2 अक (सेव सेवत) वकृ 4/2 अव्यय (महुर) 1/2 वि (वढ) 8 / 1 वि अव्यय (दुक्ख) 2/2 (दा) व 3/2 सक (भव) 7/1 ( दसरण) 1 / 1 [(मल)-(रहिन) भूकृ 1 / 1] (कर) व 1 / 1 सक (समाहि) 4/1 पाहुडदोहा चयनिका ] = परमार्थ == श्रात्मा को = छोडकर =ज्ञानमय ==दूसरे = अटपटे =शास्त्र = विषयो का ( को ) = - चितन कर - मत = हे जीव =तू = विषय = नहीं = अच्छे = होते हैं = = सेवन करते हुए (व्यक्तियो) के लिए - = किन्तु =मधुर = हे मूर्ख = पीछे = दुखो को = देते हैं = = जन्म मे ==सम्यग्दर्शन = मलरहित = ( प्रयत्न) करू = समाधि के लिए = [ 73

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