Book Title: Ashtapahud Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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अष्टपाहुड-चयनिका
1 सम्मत्तरयरण भट्ठा जाणंता बहुविहाई सत्थाई।
पाराहणाविरहिया भमंति तत्थेव तत्थेव ॥
.
.2 सम्मत्तसलिलपवहो रिपच्चं हियए पवट्टए जस्स । - कम्मं वालुयवरणं बंधुच्चिय रणासए तस्स ॥
3 जे दंसणेसु भट्ठा पारणे भट्ठा चरित्तभट्ठा य । . एदे भट्ठविभट्ठा सेसं पि जणं विणासंति ॥
4 सम्मत्तादो साणं गाणादो सव्वभावउवलद्धी ।
उवलद्धपयत्थे पुरण सेयासेयं . वियाणेदि ॥ .
2 ]
[ प्रष्टपाहुड
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