Book Title: Ashtapahud Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 84
________________ [(राय) + (अनिल) + (रहियो)] [(राय)-(अनिल)-(रहिअ) 1/1 वि] । झाणपईवो [(झाण)-(पईव) 1/1] । वि (अ) = भी । पज्जलइ (पज्जल) व 3/1 अक । 48 झायहि (झा) विधि 2/1 सक । पंच (पंच) 2/2 वि । वि (अ)= हो । गुरवे (गुरव) 2/2 । मंगलचउसरणलोयपरियरिए [(मंगल) वि(चउ) वि-(सरण)-(लोय)-(परियरिप्र) 2/2वि । परसुरखेयरमहिए [(गर)-(सुर)-(खेयर)--(मह) भूक 2/2] । आराहणणायगे [(पाराहण)-(गायग) 2/2] वीरे (वीर) 2/2 वि । 1. अकारान्त धातुओं के अतिरिक्त अन्य स्वरान्त धातुनों में विकल्प से __ अ (य) जोड़ने के पश्चात् प्रत्यय जोड़ा जाता है । 49 उत्थरइ (उत्थर) व 3/1 सक । जा (अ) = जब तक । ण (य) = नहीं।' जर (जर) 1/1 वि अपभ्रंश । प्रो (अ)=मंबोधन। रोयग्गी [(रोय) + (अग्गी)] [(रोय)-(अग्गि) 1/1] । उहइ (डह) व 3/1 मक । देहडि [(देह)-(उडि) 2/1] इंदियबलं [(इंदिय)-(बल) 1/1] । वियलइ (वियल) व 3/1 अक । ताव (अ) = तब तक । तुर्म (तुम्ह) 1/1 म । कुणहि (कुगा) विधि 2/1- मक । अप्पहियं [(अप्प)-(हिय)2/1] । 50 जीवविमुक्को [(जीव)-(विमुक्क) भृकृ 1/1 अनि] । सवओ (सव) स्वार्थिक 'अ' प्रत्यय 1/1 । दंसणमुक्को [(दंसग)-(मुक्क) 1/1 वि] । य (य) = किन्तु । होइ (हो) व 3/1 अक । चलसवओ [(चल)(मव) स्वार्थिक 'अ' प्रत्यय 1/1] । लोयअपुज्जो [(लोय)-(अपुज्ज) 1/1 वि] । लोउत्तरयम्मि [(लोग्र) -! (उत्तग्यम्मि)] [(लोग्र)-(उत्तर) स्वाथिक 'य' प्रत्यय 7/1]। .. 51 जह (अ) = जैसे । तारायण' (तारय) 6/2। चंदो (चंद) 1/1 । मयराओ (मय राय) 1/1। मयउलाण' [(मय)-(उल) 6/2] । सव्वाण' (मव्व) 6/2 वि । अहिलो (अहिन) 1/1 वि । तह (ग्र)= चयनिका ] । 51 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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