Book Title: Ashtapahud Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ 37 बीवो (जीव) 1/1 । जिणपणत्तो [(जिण)-(पण्णत्त) भूक 1/1 अनि] गागसहाओ [(णाण)-(सहाअ) 1/1] । य (अ) = तथा । चेयणासहिओ [(चेयणा)-(सहिअ) 1/1 वि] । सो (त). -1/1 सवि । जीवो (जीव) 1/1। गायव्यो (णा)-विधिक 1/1 | कम्मक्खयकरणणिमित्तो [(कम्म) -(क्खय)-(करण) वि-(रिणमित्त) 1/1। । 38 अरसमस्वमगंध [(अरस) + (अरूव) + (अगंध)] । अरस (अरस) 1/1 वि । अरूवं (अरूब) 1/1 वि । अगंधं (अगंध) 1/1 वि। अव्वत्त (अव्वत्त) 1/1 वि । चेयगागुणमसइं [(चेयरणा)+ (गुणं)+ (असद्द)] [(चेयणा)-(गुण) 1/1] । असद्द (असद्द) 1/1 वि । जाणलिंगरगहणं [(जाणं)+ (अलिंग)+ (ग्गहणं)] जाणं (जाण) 1/1 [(अलिंग) वि(ग्गहण) 1/1] जीवमणिहिट्टसंगणं [(जीव)+(अणि ट्ठि)+ (संठाणं)] जीवं (जीव) 1/1 [(अणिद्दिट्ठ) वि-(संठाण) 1/1] . 39 पढिएन (पढ) भूक 3/1 । वि (अ) = भी । किं (किं) 1/1 सवि । कीरइ (कीरइ) व कर्म 3/1 सक अनि । कि (किं) 1/1 सवि । वा (अ)= अथवा । सुणिएण (सुण) भूक 3/1। भावरहिएण [(भाव)-(रहिअ) 3/1 वि] । भावो (भाव) 1/1 | कारणभूदो [(कारण)-(भूद) भूक 1/1 अनि] । सायारणयारभूदारणं [(सायार)+(अरणयार)+ (भूदाणं)] [(सायार) वि-(अणयार) वि-(भूद) 6/2 वि] । 40 भावं (भाव) 1/1 । तिविहपयारं [(तिविह) वि-(पयार) 1/1] । . सुहासहं [(सुह) + (असुहं)] [(सुह)वि-(असुह) वि] । सुखमेव [(सुद्ध)+(एव)] सुद्ध (सुद्ध) 1/1 एव (अ)=ही । णायब्वं (णा) विधिक 1/1 । असुहं (असुह)1/1 वि । च (अ)= और । अट्टरदं [(अट्ट)1. गुण इत्यादि शब्द विकल्प से नपुंसक लिंग में और पुल्लिग में प्रयुक्त किए जाते हैं। यहां पु., नपुसंक लिंग में प्रयुक्त है । (हेम प्राकृत व्याकरण : 1-34) 48 ] [ अष्टपाहुड Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106