Book Title: Ashtapahud Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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वैसे ही । सम्मत्तो (सम्मत्त) 1/1 । रिसिसावयविहषम्माणं [(रिसि)(सावय)-(दुविह) वि-(धम्म) 6/2] । 1. जिस समुदाय में से एक को छाँटा जाता है, उस समुदाय में
षष्ठी अथवा सप्तमी होती है । ... 52 इय (अ) = इस प्रकार । गाउं (णा) संकृ । गुणवोस [(गुण)-(दोस) ..2/1] । सणरयणं [(दंसण)-(रयण) 2/1] । धरेह (धर) प्राज्ञा
2/2 सक । भावेण (क्रिविअ) = भावपूर्वक सारं (सार) 1/1। गुणरयणाणं [(गुण)-(रयण) 6/2] । सोवाणं (सोवाण) 1/1। पढम' (पढम) 1/1 वि । मोक्खस्स (मोक्ख) 6/11 : . 2. अनुस्वार का लोप विकल्प से होता हैं। (हेम प्राकृत व्याकरण
1-29) । 53 गाणी (णाणि) 1/1 वि । सिव (सिव) मूलशब्द 1/1। परमेट्ठी
(परमेट्ठि) 1/1। सव्वण्हू (सव्वण्हु) 1/1 वि । विण्ड (विण्हु) मूलशब्द 1/1। चउमुहो (चउमुह) 1/1 । बुद्धो (बुद्ध) 1/1। अप्पो (अप्प) 1/1 । वि (अ) = ही । य (अ) = और । परमप्पो (परमप्प) 1/1 । कम्मविमुक्को [(कम्म)-(विमुक्क) 1/1 वि] । य (अ) = भी ।
होइ (हो) व 31 अक । फुडं (अ)=निस्संदेह । 54 जह (अ) = जैसे । सलिलेण (सलिल) 3/1 । ण (अ)= नहीं। लिप्पइ
(लिप्पइ) व कर्म 3/1 सक अनि । कमलिणिपत्त [(कमलिणी)-(पत्त) 1/1] । सहावपयडीए [(म-हाव)-(पयडि) 3/1] । तह (अ) = वैसे हो । भावेण (भाव) 3/1 । कसायविसएहिं [(कसाय)-(विसघ) 3/2] ।
सप्पुरिसो (सप्पुरिम) 1/1। 55 ते (त) 1/2 सवि । धीरवीरपुरिसा [(धीर) वि-(वीर) वि-(पुरिस)
1/2] । खमवमखग्गेण [(खम)-(दम)-(खग्ग) 3/1] । विप्फुरतेण
(विप्फुर) वकृ 3/1 । दुज्जयपबलबलुखरकसायभर [(दुज्जय)+(पबल) 52 ]
[ अष्टपाहुड
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