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सुलसा के बत्तीस पुत्रों के साथ सुरंग के द्वार के पास आया और सुलसा के पुत्रों को रथ सहित साथ में लेकर वैताढ्य की गुफा में चक्रवर्ती की तरह श्रेणिक राजा सुरंग में घुस गया। सुरंग के दूसरे द्वार पर निकले तब मगधपति ने सुजेष्ठा को देखा, उसका चित्र से मिलान हुआ देख हर्षित हुए। सुज्येष्ठा ने यह सर्व वृत्तांत सखीभाव से चिल्लणा को बताकर उससे इजाजत मांगी। तब चिल्लणा प्रतिज्ञा पूर्वक बोली कि, मैं तेरे बिना अकेली नहीं रहँगी।' तब सुज्येष्ठा चिल्लणा को रथ में बिठा कर स्वयं शीघ्र ही रत्नकरंडक लेने गई। उस समय सुलसा के पत्रों ने श्रेणिक राजा को कहा कि 'हे स्वामी! शत्रु के गृह में चिरकाल रहना उचित नहीं।' सुलसा के पुत्रों की प्रेरणा से राजा चिल्लणा को लेकर उस सुरंग के मार्ग से जैसा आया वैसा वापिस लौट गया। सुज्येष्ठा रत्नकरंडक लेकर आई, वहाँ तो बादलों से ढंके चंद्र के समान श्रेणिक को वहां नहीं देखा। इससे अपनी बहन का हरण हो गया और स्वयं का मनोरथ सिद्ध नहीं हुआ, ऐसा जानकर उसने ऊंचे स्वर से चिल्लाना शुरु किया- अरे! दौड़ो! दौड़ो ! मैं लुट गई। मेरी बहन चिल्लणा का हरण हो गया। यह सुनते ही चेटक राजा तैयार हो गये। उनको तैयार हुआ देखकर वीरंगक नामक रथी ने कहा, स्वामी! मेरे होते हुए आपको आक्षेप करना योग्य नहीं है। ऐसा कहकर वीरंगक युद्ध करने के लिए सज्ज होकर कन्या को वापिस लाने के लिए सुरंग के द्वार पर आया। वहाँ सुलसा के पुत्रों को जाते हुए देखकर महाबाहू वीरंगक ने उनको एक ही बाण से मार डाला। सुरंग संकड़ी होने से उनके रथों को वीरंगक एक ओर करने में रहा, इतने में तो मगधपति श्रेणिक दूर निकल गए। वीरंगक ने लौटकर सर्व वृत्तांत चेटक राजा को कहा। अपनी दुहिता के हरण से एवं उन बत्तीस रथिकों के मरण से चेटक राजा का मन एक साथ रोष और तोष से भर गया। यह हकीकत सुनकर सुज्येष्ठा ने चिंतन किया कि, अहो! विषय की लोलुपता को धिक्कार है। विषयसुख की इच्छा करने वाले मनुष्य इस प्रकार की विडंबना को पाते हैं। ऐसे विचार से संसार से विरक्त हुई सुज्येष्ठा ने चेटक राजा की अनुमति लेकर चंदना आर्या के पास दीक्षा ले ली।
(गा. 249 से 266) इधर राजा श्रेणिक अपने रथ में बैठी चेल्लणा को सुज्येष्ठा मानकर 'हे सुज्येष्ठा, हे सुज्येष्ठा! इस प्रकार बोलने लगे। तब चेल्लणा ने कहा कि 'सुज्येष्ठा आई नहीं, मैं तो सुज्येष्ठा की छोटी बहन चिल्लणा हूँ। तब श्रेणिक बोला- हे
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (दशम पर्व)
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