Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charit Part 08
Author(s): Surekhashreeji Sadhvi
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 340
________________ जंबूस्वामी के स्वाधीन कर दिया। तत्पश्चात् सुधर्मा गणधर भी उस ही नगर में अशेष (अष्ट) कर्म को खपाकर चौथा ध्यान ध्याते हुए अद्वैत सुखवाले स्थान को प्राप्त किया। उसके बाद चरम केवली श्री जंबूस्वामी ने भी वीर भगवंत के शासन में अग्रणी होकर अनेक वर्षों तक भव्य जनों को धर्मोपदेश देकर अंत में मोक्ष पधारे। (गा. 274 से 284) ___ग्रथंकार का कथन है कि “त्रैलोक्य में भी सात्विक पुरुषों में परम श्रेष्ठ ऐसे और जिन्होंने सर्व पापों का नाश किया है ऐसे श्री महावीर जिनेश्वर का पूर्वजन्म से लेकर मोक्षप्राप्ति पर्यन्त समस्त चरित्र कहने में कौन समर्थ हो सकता है ? तथापि प्रवचनरूप समुद्र में से लव मात्र ग्रहण करके मैंने स्वपर उपकार की इच्छा से यहाँ किंचित् कीर्तना की है।" (गा. 285) इति. श्री हे. विरचित त्रि. महा. दशम पर्व में महावीर निर्वाण गौतम सुधर्मा जंबू मोक्ष गमन वर्णन नामक त्रयो दशसर्गः त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (दशम पर्व) 327

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