Book Title: Naychakra Sara
Author(s): Meghraj Munot
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 8
________________ reOneNoelesso@newaenelodependencegeears पुष्पाञ्जली. , श्रीज्ञानसुन्दरजी. करजी महाराज साहिब के श्री १००८ श्रीज्ञा MPORTANDOMo@ANGE करकमलों में पूज्यपाद मुनि श्री आपश्री जैसे जैन सिद्धान्तों के तत्वज्ञ और द्रव्यानुयोग । के ज्ञाता है वैसे ही आपश्री के व्याख्यान में भी अपूर्वता है कि चारों अनुयोगवाले श्रोतागण अपने २ रस को पाकर । संतोषित होते हैं. आप के तीन चातुर्मास (सं. १९७७-७८ -७६) फलोधी होने से जनता को सिद्धान्तों के श्रवण और तत्वबोध की प्राप्ति का जो अपूर्व लाभ मिला जिस में खास कर मुझ पर आपश्री का जो तत्वज्ञ प्रेमभाव रहा उस के लिये १ में सदा कृतज्ञ हूं. आपने मेरे हृदय में जिस उत्साह के साथ तत्त्वज्ञता के श्रोत का उद्गम किया है जिस के प्रवाह से आज । पर्यन्त बोधलता का सींचन हुवा करता है और उसी का यह एक पुष्प आपश्री के करकमलों में स्मरणार्थ अर्पण करता हूं है जिसे आप सहर्ष स्वीकार करेंगें. हाल मुकाम ): आपका चरणोपासक दुकान खैरागढ सी. पी. मेघराज मुणोत ____ ता. १-४-२६ ) फलोधी-(मारवाड़) Home@Geeeeeewww @@peaceDeATS@pano@across @AR@PAar@@reso@PARATIO@mento@ness)

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