Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(११३)
१४३ 1 सरय-समय-संपुण्ण-ससि-सिरी-सरिस-दसण-सुहस्स वि जणस्स सो चेय
एक्को उव्वेयणिज्ज-दसणो । सरस-सरल-सलाविराणं पि सो च्येय एक्को जरढ3 कुरंग-सिंग-भर-भंगुर-जंपिरो । तण-मेत्तुवयारि-दिण्ण-जीवियाणं पि मज्झे सो
चेय कयग्यो । सव्वहा सज्जण-सय-संकुले वि तम्मि गामे सो च्येय एक्को दुजणो 5 त्ति। तस्स य तारिसस्स असंबद्ध-पलाविणो वंकयस्स णिद्दयस्स णिद्दक्खिण्णस्स _णिक्किवस्स णिरणुकंपस्स बहु-जण-पुणरुत्त-विप्पलद्ध-सज्जणस्स समाण-गाम7 जुवाणएहिं बहुसो उवलक्खिय-माया-सीलस्स गंगाइच्चो त्ति अवमण्णिऊण ___ मायाइच्चो कयं णामं । तओ सव्वत्थ पइट्ठियं सहासं च बहुसो जणो उल्लवइ 9 मायाइच्चो मायाइच्चो त्ति । सो उण णरवर, इमो जो मए तुज्झ साहिओ त्ति ।
अह तम्मि चेय गामे एक्को वाणियओ पुव्व-परियलिय-विहवो थाणू णाम । 11 तस्स तेण सह मायाइच्चेण कह वि सिणेहो संलग्गो । सो य सरलो मिउ-मद्दवो ___ दयालू कयण्णू मुद्धो अवंचओ कुलुग्गओ दीण-वच्छलो त्ति । तहा 13 विवरीय-सील-वयणाणं पि अवरोप्परं देव्व-वसेण बहु-सज्जण-सय
पडिसेहिज्जमाणेणावि अत्तणो चित्त-परिसुद्धयाए कया मेत्ती । अवि य । 15 सुयणो ण-याणइ च्चिय खलाण हिययाइँ होति विसमाई ।
अत्ताण-सुद्ध-हिययत्तणेण हिययं समप्पेइ ।।। 17 जो खल-तरुयर-सिहरम्मि सुवइ सब्भाव-णिब्भरो सुयणो ।
सो पडिओ च्चिय बुज्झइ अहव पडतो ण संदेहो ।। 19 (११३) एवं च ताणं सजण-दुजणाणं सब्भाव-कवडेण णिरंतरा पीई वड्ढिउं
पयत्ता । अण्णम्मि दियहे वीसत्था-लाव-जंपिराणं भणिय थाणुणा । वयस्स, 21 धम्मत्थो कामो वि य पुरिसत्था तिण्णि णिम्मिया लोए ।
ताणं जस्स ण एक्कं पि तस्स जीयं अजीय-समं ।।
1) J सरयसमयदसण, P सो च्चेय. 2) P सरलसरस, J सो चेय, P om. एक्को. 3) Pom. भर, P मेतूवयरी, P om. मज्झे सो चेय etc......to तस्स य तारिसस्स. 5) J वंकय निद्द०, J णिदक्खिणस्स. 6) P निरण्णुकंपस्स, P विप्पलुद्ध. 8) P बहुजणो, J उल्लवइ व माया०. 9) P सोऊण for सोउण. 10) P चेव. 11) P संपग्गो. 12) P कुलग्गओ. 13) J सीलरयणाणं, P अवरोप्पदरं देववसेण. 14) P अप्पणो च्चिय पडिसुद्धयाए. 17) P सुयइ. 19) P कवड for कवडेण, J पीती, P पड्डिओ for वड्डि उं. 20) J विसत्थालाव P वीसत्थालावकवडिनिरंतरा पीइं जंपि०. 21) P पुरिसत्थो.

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