Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(१५१)
१९५ 1 संपत्ता उज्जाणं । पविट्ठा य चंदण-एला-लयाहरंतरेसु वियरिउं पयत्ताओ ।
एत्थंतरम्मि अणुराय-दिण्ण-हियवएणं अणवेक्खिऊण लोयाववायं, 3 गलत्थिऊण लजं, अवहत्थिऊण जीवियं, अगणिऊण भयं, चिंतियं णेण ‘एस
अवसरो' त्ति । चिंतयंतो पहाइओ णिक्कड्डियासि-भासुरो । भणियं च णेणं मोह5 मूढ-माणसेण । अवि य ।
_ 'अहवा रमसु मए च्चिय अहवा सरणं च मग्गसु जियंती । 7 धारा-जलण-कराला जा णिवडइ णेय खग्ग-लया ।।'
तं च तारिसं वुत्तंतं पेच्छिऊण हा-हा-रव-सद्द-णिब्भरो सहियणो, धाहावियं 9 च सुवण्णदेवाए।
'अवि धाह धाह पावह एसा केणावि मा ऍमह धूया । 11 मारिज्जइ विरसंती वाहेण मइ व्व रण्णम्मि ।।'
एत्थंतरम्मि सहसा कड्डिय-करवाल-भासुर-च्छाओ। 13 वग्घो व्व वग्घदत्तो णीहरिओ कयलि-घरयाओ ।।
भणियं च णेण । 15 ‘किं भायसि वण-मइ-लीव-वुण्ण-तरलच्छि लच्छि धरमाणे ।
रिउ-गयवर-कुंभत्थल-णिद्दलणे मज्झ भुय-दंडे ।।' 17 आयारिओ य णेण सो तोसलो रायउत्तो । रे रे पुरिसाधम,
वुण्ण-मय-लीव-लोयण-कायर-हियाण तं सि महिलाण । 19 पहरसि अलज्ज लज्जा कत्थ तुमं पवसिया होज्जा ।। __ता एहि मज्झ समुहंति भणमाणस्स कोवायंबिर-रत्त-लोयणो मयवइ21 किसोरओ विय तत्तो-हुत्तं वलिओ तोसलो रायउत्तो । भणियं च णेण ।
‘सयल-जय-जंतु-जम्मण-मरण-विहाणम्मि वावड-मणेण ।
1)P उज्जाणवणं ।, J पविठ्ठाओ य, P om. य, Jadds वंदण after चंदण. 2) P हियएणं अविवेक्खऊण. 3) P उज्जं for लजं, P om. अगणिऊण भयं, P तेण for णेण. 4) P निक्किट्टियासि. 7) P जणकराला. 9) P सुवण्णदेवयाए. 10) P धावह for धाह धाह. 11) P वरिसंती. 13) P नीहलिओ कयलिहरयाओ. 15) J मय for मइ, J पुण्ण P चुण्ण. 16) P रिवु. 17) J पुरिसाहम. 18) J पुण्ण for वुण्ण, J हिअयाण. 19) P लज्जो, P पवसिओ. 20) P मज्ज for मज्झ, J कोवायंबिरत्त, P रत्तं न लोयणो मइव किसो. 22) J जण for जय.

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