Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

View full book text
Previous | Next

Page 205
________________ २०२ (१५५) । सो चेय होइ णवरं कीडो असुइम्मि संसारे ।। होऊण चिरं कीडो भव-परिवाडीऍ कम्म-जोएण । 3 सो च्चिय पुणो वि इंदो वज्जहरो होइ सग्गम्मि ।। सो णत्थि जए जीवो णवि पत्तो जो दुहाइँ संसारे । 5 जो असुहं णवि पत्तो णिय-विरइय-कम्म-जोएण ।। इय एरिसं असारं अथिरं गुण-संगम इमं णाउं । 7 ता कयरं मण्णंतो गुणं ति माणं समुव्वहसि ।। माया वि कीस कीरइ बुहयण-परिणिंदिय त्ति काऊण । 9 कह वंचिज्जउ जीवो अप्प-समो पाव-मूढेहिं ।।। जह वंचिओ त्ति अहयं दुक्खं तुह देइ दारुणं हियए । 11 तह चिंतेसु इमस्स वि एस च्चिय वंचणा पावं ।। जइ वि ण वंचेसि तुमं माया-सीलो त्ति तह वि लोयम्मि । 13 सप्पो व्व णिव्वियप्पं णिच्चं चिय होइ बीहणओ ।। तम्हा मा कुण मायं मायं सयलस्स दुक्ख-वग्गस्स । 15 इय चिंतिऊण दोसे अज्जव-भावं विभावेसु ।। लोभो वि उज्झियव्वो एवं हिययम्मि णवर चिंतेउं । 17 णाणाविहं तु अत्थं आसि महतं महं चेय ।। वेरुलिय-पउमरायं कक्केयण-मरगयाइँ रयणाई । 19 आसि महं चिय सुइरं चत्ताइँ मए अवसएणं ।। जइ ता करेसि धम्म साहीणाणिं पुणो वि रयणाई । 21 अहवा रज्जसि पावे एयं पि कडिल्लयं णत्थि ।। जइ णव महाणिहीओ रज्जं सयलं च भुंजए चक्की । 2) P परिवाडीय. 5) P जो यसुहं, J णय for णवि, P पत्तो न य वियरइ. 6) P संगमं च नाऊणं ।. 7) P गुणाभिमाणं. 8) P om. कीस. 9) P वंचिज्जइ. 10) P अह for जह, J दुहवेइ for तुह देइ. 11) P चिंतेइ, P पावा ।. 12) P वंचेमि. 13) P व्वि for व्व. 14) J मग्गस्स ।. 15) J विलग्गासु for विभावेसु. 16) P लोहो. 18) J पोमराए, J मरगए य रयणाई. 20) J साहीणाणं P साहीणावि. 21) P एवं पि.

Loading...

Page Navigation
1 ... 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244