Book Title: Kuvalaymala Part 01
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 221
________________ (१६४) (१६४) किं बहुणा संपत्तो तमुज्जाणं, जत्थ समावासिओ भगवं धंमणंदणो । पविट्ठो य अणेय - तरुयर- पायव-वल्ली-लया-र - सविसेस - बहलंधयारे 3 उज्जाण-मज्झम्मि । उवगओ य सिंदूर - कोट्टिम - समीवम्मि । दिट्ठा य णेण साहुणो भगवंते । कम्मि पुण वावारे वट्टमाणे त्ति । T I 5 केइ पढंति सउण्णा अवरे पाढेंति धम्म - सत्थाई । अवरे गुणेंति अवरे पुच्छंति य संसए केइ ।। वक्खाणंति कयत्था अवरे वि सुणेंति के वि गीयत्था । अवरे रएंति कव्वं अवरे झाणम्मि व ृति ।। 9 सुस्सूसंति य गुरुणो वेयावच्चं करेंति अण्णे वि । अण्णे सामायारिं सिक्खंति य सुत्थिया बहुसो ।। दंसण - रयणं अण्णे पार्लेति य के वि कह वि चारित्तं । जिणवर-गणहर-रइयं अण् णाणं पसंसंति ।। अवि य । 13 सुत्तत्थ- संसयाइ य अवरे पुच्छंति के वि तित्थेय । णय - जुत्ते वादे जे करेंति अब्भास-वायम्मि ।। धम्माधम्म-पयत्थे के विणिरूवेंति उ-वादेहिं । वाण बंध - मोक्खापयं च भावेंति अण्णे वि ॥ 17 तेलोक्क - वंदणिज्जे सुक्कज्झाणम्मि के वि वट्टंति । अण्णे दोग्गइ-णासं धम्मझाणं समल्लीणा || मय-माण-कोह-लोहे अवरे जिंदंति दिट्ठ- माहप्पा | दुह-सय-पउरावत्तं अवरे णिदंति भव- जलहिं ।। इय देस-भत्त-महिला-राय-कहाणत्थ- वज्जियं दूरं । सज्झाय-झाण-णिरए अह पेच्छइ साहुणो राया ॥। 21 २१८ 1 7 11 15 19 2) J तरुपायव, P पायवल्ली, P बहुलंधयारे. 3) Pom. य, P समीवं 1. 4) Pom. भगवंते. 5) J पठंति. 6) P सुणंति for गुणेंति, J Pom. य, P संसयं, J केई. 7) P om. कयत्था अवरे वि सुणेंति, P केइ गीयत्था. 8) J रयंति. 10) P समायारी. 11) J सालेंति (some portion written on the margin) P पालंति. 12) J om. अवि य. 13) J संसयाई, P तत्थेय. 14 ) P सद्दत्थोभयजुत्तो for णयजुत्ते, J वादे ये P वादे य, P अब्भासं । 15 ) P केइ, P हेउवाएहिं. 16) P मोक्खोगई च, J पावेंति for भावेंति. 17 ) P वंदणिज्जा. 19) P माहप्पे. 21 ) P वज्जिया.

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