Book Title: Karlakkhan Samudrik Shastra
Author(s): Prafullakumar Modi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में नशा केदार, काकपद आदिके गुणदोष बतलाये हैं ( गा० ३१-३५ )। फिर कनिष्ठिका अंगुलीके नीचेकी रेखाओंसे पति-पलियोंकी सूचना दी गई है (गा० ३६-३९)। तत्पश्चात् व्रत (गा० ४०) मार्गण ( खोजवीन ) ( गा० ४१ ) व गुरुदेव स्मरण ( गा० ४२ ) सूचक रेखाओंका उल्लेख है । फिर लेखकने अंगुलियों आदि पर भँवरी ( गा० ४३ ) व शंख ( गा० ४४ ) रूप चिह्नोंका फल कहा है। फिर नखोंके आकार व रंग आदिका फल कहा गया है ( गा० ४५ ) और उसके आगे मत्स्य, पद्म, शंख, शक्ति आदि चिह्नोंकी सूचना दी गई है ( गा० ४६-५३ )। फिर हथेली पर बहु रेखाओं व अल्प रेखाओंका फल कहा गया है ( गा० ५४ ) और तत्पश्चात् परोपकारी हाथके लक्षण बतलाये गये हैं ( गा० ५५)। कुछ चिह्न ऐसे हैं जो धन, वंश व आयु रेखाओंके फलोंको बढ़ा या घटा देते हैं ( गा० ५६ )। जीवरेखा व कुलरेखाके मिल जानेका प । तथा हाथके स्वरूपका फल गाथा ५८-५९ में कहा गया है। कैसे यव वाचनाचार्य व उपाध्याय व सूरि होने वाले पुरुषकी सूचना देते हैं यह गा० ६० में बतलाया गया है। अन्तकी गाथामें लेखकने विनयके साथ बतलाया है कि यह ग्रन्थ उन्होंने संक्षेपतः यतिजनोंके हितार्थ इसलिये लिखा है कि वे इसके द्वारा प्रत्येक व्यक्तिकी योग्यता जान कर ही उसे व्रत दें। दुर्भाग्यतः लेखकने अपना नाम व समय कहीं नहीं बतलाया और न हमारे पास कोई ऐसे साधन उपलब्ध हैं जिनसे इन बातोंका पता व अनुमान लगाया जा सके । __इस ग्रन्थकी भाषा प्रायः शुद्ध महाराष्ट्री है, क्योंकि इसमें 'त्' के लोप होनेपर केवल उसका संयोगी स्वर यश्रुति सहित या बिना उसके ही पाया जाता है; 'थ' के स्थानपर कहीं भी 'ध' न होकर सर्वत्र 'ह' ही हुआ है, और पूर्वकालिक कृदन्त अव्यय 'ऊण' प्रत्यय लगाकर बनाया गया है। यद्यपि ग्रन्थ छोटा सा है, तथापि वह इसलिये विशेष महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उसके द्वारा प्राकृतमें शास्त्रीय साहित्यके संबंधमें हमारा ज्ञान विस्तृत होता है। ___ इस अवसर पर मैं भारतीय ज्ञानपीठ, काशीके अधिकारी वर्गको धन्यवाद देता हूँ कि. उन्होंने इस पुस्तकको अपनी ग्रन्थमालामें सम्मिलित कर प्रकाशित करनेकी कृपा की। ) किंग एडवर्ड कालेज, अमरावती । अप्रैल १९४७ प्रफुल्लकुमार मोदी For Private and Personal Use Only

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