Book Title: Karlakkhan Samudrik Shastra
Author(s): Prafullakumar Modi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 37
________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org करलक्खणं जो हाथ फैले फटे हों, जिनके गुल्म खूब गठे हुए हों, अंगुलियां विरली और विषमपर्व हो, जो बहुत मांसवाले न हों और जिनका तलुआ कड़ा हो वे हाथ दूसरोंके कार्य करनेवाले (अर्थात् परोपकारी या नौकरी करनेवाले) होते हैं। धनादिरेखाविषयेसूई अग्गिसिहा वा सत्ति वा सिरी भजए जस्स । धणसाउरेहं तारिसयं णिदिसे तस्स ॥ सूची अमिशिखा वा शक्तिः वा श्री: भज्यते यस्य । धनवंशआयुरेखाभिः तादृशं निर्दिशेत्' तस्य ॥ सूची या अग्निशिखा या शक्ति या श्री जिसके हाथमें विभाजित पड़ी हो उसकी धन, वंश और आयुकी रेखाएँ उसी अनुसार फल बताती हैं। ( ५७ ) धनविषयेजिअरेहाउ कुलरेहमागया जस्स होइ अखंडा। रेहा अप्फुडिया से धणवुड्डी होइ पुरिसस्स ॥ जीवरेखा कुलरेखामागता यस्य भवति अखण्डा । रेखा अस्फुटिता तस्य धनवृद्धिः भवति पुरुषस्य ॥ जिसकी जीवरेखा कुलरेखासे आ मिली हो और अखंड हो, तथा रेखा फूटी न हो, उस पुरुषके धनवृद्धि होती है । ( ५८ ) सामान्यहस्तरेखाफलम्वरपउमपत्तसरिसा अच्छिण्णा मंसला य संपुण्णा। ससणिद्धरत्तरेहा धणकणगपडिच्छिा हत्था ॥ वरपद्मपत्रसदृशाः अच्छिन्नाः मांसलाः च सम्पूर्णा । सस्निग्धरक्तरेखा धनकनकप्रतीप्सकाः हस्ताः ॥ जो हाथ उत्तम कमलपत्रके समान, अच्छिन्न, चिकने, संपूर्ण तथा चिकनी और लाल रेखाओं वाले हों वे धान्य और सुवर्णके ग्राहक होते हैं। ५६. १ प्रतौ 'निर्दिशति' इति पाठः। ५७.१ प्रतौ 'जिअलोहा' इति पाठः। २. प्रतौ 'अस्फुटिताः' इति पाठः। For Private and Personal Use Only

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