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करलक्खणं जो हाथ फैले फटे हों, जिनके गुल्म खूब गठे हुए हों, अंगुलियां विरली और विषमपर्व हो, जो बहुत मांसवाले न हों और जिनका तलुआ कड़ा हो वे हाथ दूसरोंके कार्य करनेवाले (अर्थात् परोपकारी या नौकरी करनेवाले) होते हैं।
धनादिरेखाविषयेसूई अग्गिसिहा वा सत्ति वा सिरी भजए जस्स । धणसाउरेहं तारिसयं णिदिसे तस्स ॥
सूची अमिशिखा वा शक्तिः वा श्री: भज्यते यस्य ।
धनवंशआयुरेखाभिः तादृशं निर्दिशेत्' तस्य ॥ सूची या अग्निशिखा या शक्ति या श्री जिसके हाथमें विभाजित पड़ी हो उसकी धन, वंश और आयुकी रेखाएँ उसी अनुसार फल बताती हैं।
( ५७ )
धनविषयेजिअरेहाउ कुलरेहमागया जस्स होइ अखंडा। रेहा अप्फुडिया से धणवुड्डी होइ पुरिसस्स ॥
जीवरेखा कुलरेखामागता यस्य भवति अखण्डा ।
रेखा अस्फुटिता तस्य धनवृद्धिः भवति पुरुषस्य ॥ जिसकी जीवरेखा कुलरेखासे आ मिली हो और अखंड हो, तथा रेखा फूटी न हो, उस पुरुषके धनवृद्धि होती है ।
( ५८ )
सामान्यहस्तरेखाफलम्वरपउमपत्तसरिसा अच्छिण्णा मंसला य संपुण्णा। ससणिद्धरत्तरेहा धणकणगपडिच्छिा हत्था ॥
वरपद्मपत्रसदृशाः अच्छिन्नाः मांसलाः च सम्पूर्णा ।
सस्निग्धरक्तरेखा धनकनकप्रतीप्सकाः हस्ताः ॥ जो हाथ उत्तम कमलपत्रके समान, अच्छिन्न, चिकने, संपूर्ण तथा चिकनी और लाल रेखाओं वाले हों वे धान्य और सुवर्णके ग्राहक होते हैं।
५६. १ प्रतौ 'निर्दिशति' इति पाठः। ५७.१ प्रतौ 'जिअलोहा' इति पाठः।
२. प्रतौ 'अस्फुटिताः' इति पाठः।
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