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भारतीय ज्ञानपीठ काशी के प्रकाशन
[प्राकृत ग्रन्थ] १ महाबन्ध-(महाधवल सिद्धान्त शास्त्र) प्रथम भाग । हिन्दी टीका सहित । पक्की जिल्द । कवर पर
बाहुबलि का सुन्दर चित्र । द्वादशाङ्ग से साक्षात् सम्बन्ध रखने वाली, भगवंत भूतबलि की सैद्धान्तिक कृति, जिसकी समाज सदियों से प्रतीक्षा कर रहा था । सं०-६० सुमेरुचन्द्र दिवाकर शास्त्री । ग्रन्थ
साइज के पृ० ४५० । मूल्य १२) २ करलक्खण--(सामुद्रिक शास्त्र ) हिन्दी अनुवाद सहित । हस्तरेखा विज्ञान का नवीन ग्रन्थ । सम्पादक-प्रो० प्रफुल्लचन्द्र मोदी एम० ए०, अमरावती । ग्रन्थ साइज के पृ० ४० । मूल्य १)
[ संस्कुत ग्रन्थ ] ३ मदनपराजय-कवि नागदेव विरचित (मूल संस्कृत) भाषानुवाद तथा विस्तृत प्रस्तावना सहित ।
जिनदेव के काम के पराजय का सरस रूपक । स्वाध्याय के योग्य । सम्पादक और अनुवादक-पं० राजकुमार जी साहित्याचार्य । ग्रन्थ साइज के पृ० २३० । मूल्य ८).
[हिन्दी ग्रन्थ ] ४ जैनशासन-जैनधर्म का परिचय तथा विवेचन करने वाली सुन्दर रचना । हिन्दू विश्वविद्यालय के
जैन रिलीजन के एफ० ए० के पाठ्यक्रम में निर्धारित । कवरपर महावीर स्वामी का तिरंगा चित्र ।
लेखक-t० सुमेरुचन्द्र दिवाकर शास्त्री । पृ० ४२० । मूल्य ४/-) ५ हिन्दी जैन साहित्य का सक्षिप्त इतिहास-हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास तथा परिचय |
लेखक-कामता प्रसाद जैन | पृ० २८८ । मूल्य २||-) ६ अाधुनिक जैन कवि-वर्तमान कवियों का कलात्मक परिचय और सुन्दर रचनाएँ । सं० रमा जैन | . पृ० २९६ । मूल्य ३।।) ७ मुक्तिदूत-अञ्जना-पवनञ्जय का पुण्य चरित्र (पौराणिक रोमांस) लेखक-वीरेन्द्रकुमार जैन.
एम. ए. । लेखक ने इस उपन्यास में अपनी आत्मा उड़ेल दी है। पृ० ३४० । मूल्य ४|||) ८ दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ-( जैन कहानियाँ ) लेखक-डा. जगदीशचन्द्र जैन, एम.
ए. पी-एच. डी. | पृ० २१२ । व्याख्यान तथा प्रवचनों में उदाहरण देने योग्य । मूल्य ३). ६ पथचिह्न-(हिन्दी साहित्य की अनुपम पुस्तक ) स्मृति-रेखाएँ और निबन्ध । लेखक-सुप्रसिद्ध
साहित्यिक श्री शान्तिप्रिय द्विवेदी । पृ० १२८ । मू० २) १० पाश्चात्त्य तर्कशास्त्र-(पहला भाग) एफ. ए. के लाजिक के पाठ्यक्रम की पुस्तक । लेखक
भिक्ष जगदीश जी काश्यप, एम. ए., पालि अध्यापक हिन्दू विश्वविद्यालय काशी । पृ०३८४ । मूल्य ४||) २१ जैन भौगोलिक सामग्री और जैनधर्म का प्रसार-प्राचीन जैन नगरों की प्रामाणिक खोज ।
लेखक-डॉ. जगदीशचन्द्र जैन एम. ए., पी-एच. डी. बंबई | पृ० ४० । मूल्य |) १२ कुन्दकुन्दाचार्य के तीन रत्न-लेखक श्री गोपालदासजी पटेल। अनुवादक-पं० शोभाचन्द्रजी
भारिल न्यायतीर्थ, व्यावर | पृ० १६० । मूल्य २)।
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