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रुचिरा
सुख के घर स्वरूप, सदैव युवा, चंद्रप्रभ, श्रेष्ठ, सम्यग्ज्ञान के प्रदाता, अत्यंत सूक्ष्म समय के ज्ञाता, सूर्य सम तेजस्वी, श्रेष्ठ रूपवाले, दुर्जनो के लिए भी हितकारी, क्रोध रूपी वृषभ के लिए सिंह तुल्य, काम रूपी वृक्ष को निर्मूल करने के लिए वायु तुल्य, सत्य वक्ता, समर्थ श्री पार्श्वनाथ भगवान मुक्ति लक्ष्मी का दान करो ||२५||
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्