________________
कमनीया राजकुमार, हास्य एवं त्रास से रहित, राजा रूपी ताराओं में सूर्य तुल्य, सर्व जीवों के मित्र, धनरहित, अधीरता के नाशक, वंचक विषय को जीतनेवाले, निर्दूषण हे अरिहंत परमात्मान् ! ज्ञान रूपी अमृत के धारक, ज्ञान रूपी नीर को बरसाने के लिए मेघ तुल्य, अज्ञानी जीवों के अज्ञान को नष्ट करनेवाले, पीडा रहित आप विजयी हो ॥ ८ ॥
५२
अर्हत्स्तोत्रम्