Book Title: Digambar Jain Muni Swarup Tatha Aahardan Vidhi Author(s): Jiyalal Jain Publisher: Jiyalal Jain View full book textPage 6
________________ वृद्ध विद्वानों व अनेक शास्त्रों के आधार पर यह पुस्तक संग्रह की । आशा है कि सभी उदार धार्मिक पुरुष अपना कर्तव्य समभ इसके अनुसार आचरण करें। मैंने इस पुस्तक का संग्रह अपनी मान, बढ़ाई, लोभ अथवा किसी अन्य दुरभिनिवेश के वश होकर नहीं किया, केवल अपने ज्ञानवर्धन अथवा कल्याण निमित्त किया है। इस पुस्तक का संशोधन श्रीमान पं० भगवत स्वरूप जी भगवत', धर्म मर्मज्ञ अनुभवी विद्वान द्वारा कराया गया है। मैं उक्त विद्वान का बहुत बहुत कृतज्ञ हूं कि जिन्होंने परिश्रम कर मेरी भावना को सफल बनाया। सबमि इस पुस्तक के संग्रह करने में बहुत सावधानी रखी गई है तथापि बुद्धि की मन्दता एवं प्रमाद वन जो त्रुटियां बरत हों वे कारण सहित सूचित करें, जिससे भविष्य में यह पुस्तक सर्वथा विर्दोष हो जाय । जौहरीनगर मैनपुरी विनीतजियालाल जैन वैद्य Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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