Book Title: Dharm Jivan Jine ki Kala Author(s): Satyanarayan Goyanka Publisher: Sayaji U B Khin Memorial Trust Mumbai View full book textPage 7
________________ अभ्यास करवाने में सहयोग देना है। सयाजी ऊ बा खिन इस कल्याणकारी पद्धति की आचार्य परम्परा के एक जाज्वल्यमान नक्षत्र थे। वे ब्रह्मदेश के ही नहीं, प्रत्युत अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र के जाने-माने विपश्यना-आचार्य थे। उनका अपना सात्विक और कर्मठ जीवन 'जीवन जीने की कला' का एक आदर्श उदाहरण था। श्रद्धय ऊ बा खिन में कतई साम्प्रदायिक संकीर्णता नहीं थी। वे धर्म को सार्वजनीन मानते थे। यही बात हम पूज्य गोयन्काजी के विचारों में सर्वत्र पाते हैं। पूज्य श्री गोयन्काजी स्वर्गीय ऊ बा खिन के प्रमुख शिष्यों में से एक हैं। श्री ऊ बा खिन ने श्री गोयन्काजी को यथा आवश्यक प्रशिक्षण देकर अधिकृत रूप से विपश्यना-आचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किया था। कल्याणकारी विपश्यना साधना जन-जन के हित-सुख के लिए विश्वभर में फैले, यही उनकी हार्दिक इच्छा थी, जिसकी पूर्ति के लिए श्री गोयन्काजी अनथक परिश्रम कर रहे हैं और ट्रस्ट उनके इस पावन उद्देश्य में उनको सहयोग देने के लिए स्थापित हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक उपरोक्त उद्देश्य की पूर्ति में आवश्यक कदम है। इसके प्रकाशन में, सम्पादन में श्री रिषभदासजी रांका का, छपाई में श्रीचन्द सुराणा का, पुस्तक के टंकण में श्री रामप्रताप यादव का जो सहयोग प्राप्त हुआ उसके लिए हम इन सबके आभारी हैं। विनीतदयानन्द अडकियाPage Navigation
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