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भयो .
[१२१] - 'घास के पूलेां से भरा हुआ गाडा' का नाम भी "भोर' है। इस अर्थ में 'भोर' की व्युत्पत्ति भिन्न प्रकार की है। संस्कृत भाषा में 'अतिशय' और 'भार' अर्थ में 'भर' शब्द व्यवहृत है ॥ अथ अतिशयो भरः"- ( अमरकोष स्वर्गवर्ग श्लो०.६९) “ भर-एकान्त-अतिवेल-अतिशयाः " -(अभिधानचिन्तामणि ६ वा कांड श्लो० १४२) "भरः अतिशयभारयोः" ---- (हेमचन्द्र अनेकार्थ संग्रह द्वितीय कांड श्लो० ४३३) 'भर' शब्द के 'भ' गत 'अ' का बंगालियों की तरह विवृत उच्चारण करने से 'भोर' बोला जाता है और उसका अर्थ 'घास के पूल से लदा हुआ गाडा' होता है। काठियावाड में तो प्रस्तुत अर्थ में सोधा 'भर' शब्द प्रसिद्ध है
और उसका पर्याय 'भरोटुं' शब्द भी प्रचलित है। • २. भयो-हुआ। .
गूजराती 'थयो' और हिंदी 'हुआ' शब्द से जो भाव सूचित होता है वही भाव प्रस्तुत ‘भयो' का है.। संस्कृत * भूत ' शब्द से हिंदी 'हुआ' नोपजता है और वही 'भूत' . शब्द, 'भयो' का भी जनक है :
भूत-भूअ-भया । भूत-भूअ-हुआ अथवा हुवा । गूजराती का 'होय छे' क्रियापद भी सं. 'भू' धातु से आया है। प्राकृत में 'भू' के स्थान में 'हो' 'हुव' और 'हव'