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धर्मामृत भजन ६९ वां १९७. पंचम अंगे-भगवती सूत्र में । 'भगवती' का मूल . नाम 'व्याख्याप्रज्ञप्ति है।
प्रस्तुत भजन की १०वी कडी में जो भाव बताया गया है वह भाव श्री रायचन्द्रजिनागमसंग्रहमुद्रित भगवती सूत्र में शतक १२ . उद्देशक २-पृ० २६० कंडिका ९ में बताया गया है।
भजन ७० वां १९१. त्राजुए-तराजु से
(त्राजुअ-बाजवू (गु०) सं० तुलायुग-तुराजुअ
। तराजुअ। 'तुलायुग' में 'ल' का 'र होकर त्वरित उच्चारण के कारण 'त्राजुअ' शब्द हो गया है।
भजन ७१ वां १९२. मंजारी-बिल्ली-बिलाडी
मज्जारी
सं० मार्जारी-प्रा०
मंजारी
- - भजन ७३ वां
१९३. नार-नाला-पाणी का छोटा नाला