Book Title: Bhajansangraha Dharmamrut
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Goleccha Prakashan Mandir

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Page 237
________________ साही भजन ७९ वां २०४. साही - सहायक सं० सहायी - साही | २०५. जूझिहै - जूझेगा - युद्ध करेगा । सं० योत्स्यति - प्रा० जुज्झिहि - जूझिहै । भजन ८० वां १११ ' कवडी' | २०६. कौडी सं० कपर्दिका प्रा० कवड्डिा - कउडिया - कौडी । देखो [२०३] २०७. संवारै ठीक करे समारइ -संवारइ-संवारे अथवा सं० - समारयति - प्रा० सं० सं + मृज् - प्रा० सं + मारज् - संमारजइ - संमारअइ- संमारइ संवारइ-संवारे । भजन ८१ वां २०८. वाती - बत्ती | सं० वर्तिका - प्रा० वत्तिआ - त्राती । २०९. वरै - जलती है । सं० ज्वलति - प्रा० – वलइ - बरइ-बरे ।

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